त्रिगोनोमेट्री शब्द त्रि (तीन),कोण (कोण ),मिति (माप ) शब्दों के संयोग से बना है। अतएव त्रिगोगोमेट्री शब्द का अर्थ है ,त्रिभुज की माप। किसी त्रिभुज के छः अंग होते है अर्थात तीन कोण एवं तीन भुजाऐ। त्रिकोणमिति के द्वारा हम इन अंगो में पारस्परिक सबंध स्थापित कर सकते है। साथ ही किसी त्रिभुज के उपयुक्त अंग मालूम रहने पर उसके शेष तीन अनघ प्राप्त किये जा सकते है।
There is perhaps nothing which so occupies the middle position of mathematics as trigonometry. – J.F. Herbart (1890)
त्रिगोनोमेट्री सबसे व्यावहारिक शाखा है। यो तो इसका सम्बन्ध गणित तथा भौतिकशास्त्र की प्रत्येक शाखा है ,किन्तु खगोल-विद्या के विकास में इसका योगदान है। त्रिगोनोमेट्री परिणाम ने ही इस विज्ञान को उन्नति पर पहुँचाया है।
यंहा पर हम किसी परिणाम कोण कुछ निष्पत्तियो (ratios ) का अध्ययन करेंगे। इन निष्पत्तियो को त्रिगोनोमेट्री श्रित (trigonometry function ) कहते है।