विद्युत् धारा (Electric Current),जिसे बोलचाल की भाषा में बिजली (electricity)कहा जाता है ,का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे घरो में बल्ब एबं ट्यूब बिजली से जलते हैं। पंखे ,पम्प और अनेक प्रकार की मशीने बिजली की मदद से ही चलते हैं। ट्रांजिस्टर ,टेलीफ़ोन ,टेलीविज़न (TV) और कंप्यूटर बिना बिजली के चल ही नहीं सकते।
बिजली या विद्युत्-धारा से हामारा तात्पर्य होता है तारो से होकर आवेश (charge) का प्रवाह।
हम जानते हैं की पदार्थ के परमाणुओं (atoms) की रचना तीन मौलिक कानो से होती है -त्रृण आवेशयुक्त इलेक्ट्रान (Electron),धन आवेशयुक्त प्रोटॉन(proton) तथा अनावेशित न्यूट्रॉन (neutron)। प्रोट्रोन और न्यूट्रॉन परमाणु के केंद्रीय भाग में हैं जिसे नाभिक (nucleus) कहते हैं। नाभिक के इर्द-गिर्द कुछ निश्चित कक्षाओं (orbits) में इलेक्ट्रॉन घूमते रहते हैं।इलेक्ट्रान पर जितने परिणाम (magnitude) का ऋण आवेश रहता है उतने ही परिमाण का धन आवेश रहता है उतने ही परिणाम का धन आवेश प्रोटॉन पर रहता है। परमाणु में इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्या बराबर रहती है,अतः परमाणु विद्युतः उदाशीन (electrically natural) होता है। चूँकि परमाणुओं से ही वस्तुओ का निर्माण होता है ,इसीलिए उनमे समान परिणाम में धन तथा ऋण आवेश होने के कारण वे विद्युतः उदाशीन होते है। कभी-कभी वस्तुओ में धन तथा ऋण आवेश का यह संतुलन बिगरता भी है।उदहारण के लिए,जब एक काँच की छड़ को रेशम को रेशम के कपड़े से रगड़ते है,तो काँच की छड़ के कुछ इलेक्ट्रान रेशम के कपड़े पर चले जाते हैं। फलतः ,काँच की छड़ पर धन आवेश का परिमाण अब ऋण आवेश के परिमाण से अधिक हो जाता है और तब हम कहते हैं की काँच की छड़ धनावेशित (positive charged) हो गई है। रेशम के कपड़े पर चूँकि कुछ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन आ गए हैं ,अतः हम कह हैं की रेशम का कपड़ा ऋणावेशित (negatively charged) हो गया है। इसी तरह एबोनाइट की छड़ को जब ऊन से रगड़ते है,तो कुछ इलेक्ट्रॉन ऊन से एबोनाइट की छड़ ऋणावेशित हो जाती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि किसी पदार्थ के धनावेशित हो जाने का अर्थ है उससे कुछ इलेक्ट्रोनो का बाहर निकल जाना और किसी पदार्थ के ऋणावेशित हो जाने का अर्थ है उसके द्वारा कुछ इलेक्टॉनों को ग्रहण क्र लेना दूसरे शब्दों में हम कह सकते है की इलेक्टॉनों को खोकर कोई पदार्थ धनावेशित हो जाता है और इलेक्टॉनों को पाकर ऋणावेशित।