गोलिये दर्पण (Spherical Mirror)की परिभाषा :-
Type Here to Get Search Results !

गोलिये दर्पण (Spherical Mirror)की परिभाषा :-


गोलिये दर्पण (Spherical Mirror)की परिभाषा :-

गोलिये दर्पण उस दर्पण को कहते है जिसकी परावर्तक सतह किसी खोखले गोले (Hollow sphere) का एक भाग होती है। 
गोलिये दर्पण प्रायः काँच के एक टुकड़े को (समतल तरह की तरह)रजतीत(कलई,silvered)कर बनाया जाता है जो एक खोखले गोले का भाग होता है। 
काँच के इस टुकड़े की बाहरी सतह को रजतीत करने से अवतल दर्पण (concave mirror) बनता है जबकि  टुकड़े के भीतरी सतह को रजतीत करने पर उत्तल दर्पण (convex mirror) बनता है 

अवतल दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण की भीतरी सतह से होता है , जबकि उत्तल दर्पण में प्रकाश का परावर्तन दर्पण की बाहरी सतह से होता है। 

My youtube channel subscribe 

गोलिये दर्पण से सम्बंधित विभिन्न पद 

गोलिये दर्पणों द्वारा प्रतिबिम्बों के बनने की क्रिया को समझने के लिए निम्नलिखित पदों की जानकारी आवश्यक है 
  1. ध्रुव(pole) -गोलिये दर्पण के मध्यबिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते है चित्र में बिंदु p दर्पण का ध्रुव है। 
  2. वक्रता केंद्र (centre of curveture):-गोलिये दर्पण जिस गोले का भाग होता है ,उस गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता केंद्र कहते है। चित्र में Cदर्पण की वक्रता केंद्र है। 
  3. वक्रता त्रिज्या (radius of curveture)-गोलिये दर्पण जिस गोले का भाग होता है उसकी त्रिज्या को दर्पण की वक्रता कहते है। चित्र में PC=R ,दर्पण की वक्रता त्रिज्या है। 
  4. प्रधान या मुख्य अक्ष(principal axis) -गोलिये दर्पण के ध्रुव से वक्रता केंद्र को मिलाने वाली रेखा को दर्पण का प्रधान या मुख्य अक्ष कहते है। चित्र में P तथा C को मिलाने सरल रेखा PC मुख्य(प्रधान) अक्ष है। 
 







Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ads Section