रासायनिक अभिक्रियाओ की विशेषताएँ :-
रासायनिक अभिक्रिया की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- गैस की उत्पत्ति -कुछ रासायनिक अभिक्रियाएँ ऐसी है जिनमे कोई गैस उत्त्पन होती है। उदहारण -(i)दानेदार जस्ता की अभिक्रिया तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल या तनु सल्फ्युरिक अम्ल से कराने पर हाइड्रोजन उत्त्पन होती है। (ii)एक परखनली में थोड़ा सोडियम कार्बेनेट लेकर उसमे तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने पर सबों डाइऑक्सिड गैस उत्त्पन होती है।
- अवक्षेप का बनना -अवक्षेप एक ठोस पदार्थ है ,जो रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप बिलियन में से पृथक हो जाता है। उदहारण -(i)सोडियम क्लोराइड विलियम में सिल्वर नाइट्रेट का विलियम डालने पर सिल्वर क्लोराइड का दही जैसा सफ़ेद अवक्षेप प्राप्त होता है। (ii)बेरियम क्लोराइड के जलिये विलियम में तनु सल्फ्युरिक अम्ल डालने पर बेरियम सलफेट का सफ़ेद अवक्षेप बनता है।
- रंग परिवर्तन -कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं में पदार्थो के रंग में भी परिवर्तन होता है। उदहारण -(i)पोटैशियम परमैंगनेट के बैगनी रंग के विलयन में थोड़ा-थोड़ा करके नींबू का रस निचोड़ने पर विलियम का बैगनी रंग धीरे-धीरे गायब होने लगता है। (ii) पोटैशियम डाईक्रोमेट के अम्लीय विलियन का रंग नारंगी होता है। यदि इसमें सल्फर डाईऑक्साइड गैस प्रवाहित की जाए तो विलयन का रंग नारंगी से हरा हो जाता है।
- ताप में परिवर्तन -कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरूप ताप में परिवर्तन होता है। उदहारण के लिए ,यदि कली-चुना (quicklime) के एक ढेले पर जल गिराया जाए तो प्रयाप्त मात्रा में उष्मा उत्त्पन होती है ;जिससे अभिक्रिया-मिश्रण का ताप बहुत बढ़ जाता है। अतः,यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी होती है। इसके विपरीत ,एक परखनली में थोड़ा अमोनियम क्लोराइड लेकर उसमे बेरियम हाइड्रोऑक्साइड का विलयम डालने पर अभिक्रिया के फलस्वरूप बेरियम क्लोराइड,अमोनिया एवं जल बनते हैं। इस अभिक्रिया में अभिक्रिया-मिश्रण का ताप घाट जाता है ,जिससे परखनली को स्पर्श करने पर ठंडक महसूस होती है। अतः ,यह अभिक्रिया ऊष्माशोषी होती है।
- अवस्था में परिवर्तन - कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरुप पदार्थो की अवस्था में भी परिवर्तन होता है। उदहारण के लिए,मोमबत्ती को जलाने पर मोम का कुछ भाग द्रवित होकर नीचे गिरता है और कुछ भाग वाष्प में परिवर्तित होकर जलता है। अतः,मोमबत्ती के जलने पर ठोस मोम द्रव और गैस परिवर्तित होता है। मोमबत्ती का मोम जलकर कार्बन डाईऑक्साइड(गैस) और जल(द्रव) में परिवर्तित हो जाता है।
किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थो के संकेतो एवं सूत्रों की सहायता से उस अभिक्रिया का संक्षिप्त निरूपण रासायनिक समीकरण कहलाता है।
रासायनिक अभिक्रिया के अभिकारकों (reactants) एवं प्रतिफलों(products) को प्रदर्शित करने के लिए पदार्थों (तत्त्व या यौगिक) के संकेतों एवं सूत्रों को व्यवस्थित करना पड़ता है।
उदहारण के लिए,हाइड्रोजन और क्लोरीन के मिश्रण को सूर्य के प्रकाश में रखने पर हाइड्रोजन क्लोराइड बनता है। इस अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण के द्वारा निम्नांकित प्रकार से निरूपित किया जाता है।
H2 + Cl2 ⟶ 2HCl
रासायनिक समीकरण लिखने के नियम
रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक समीकरण के रूप में लिखने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना पड़ता है।
- अभिक्रिया के अभिकारकों को उनके संकेतो या अनुसुत्रों के पदों में समीकरण के बायीं ओर लिखा जाता है।
- अभिकारकों के सूत्रों के बीच धन-चिन्ह (+) दिया जाता है।
- अभिक्रिया के प्रतिफलों को उनके संकेतो या अनुसुत्रों के पदों में समीकरण के दायीं ओर लिखा जाता है।
- प्रतिफलों के सूत्रों के मध्य धन -चिन्ह (+) दिया जाता है।
- अभिकारकों और प्रतिफलों को एक तीर-चिन्ह(⟶) द्वारा अलग-अलग प्रदर्शित किया जाता है। तीर-चिन्ह यह दिखाता है की अभिक्रिया किस दिशा की तरफ हो रही है। A + B ⟶ C + D इस रासायनिक समीकरणों में A और B अभिकारक (reactants) है ,जबकि C और D प्रतिफल (products) हैं। तीर चिन्ह यह बताता है कि A और B की अभिक्रिया के फलस्वरूप C और D बन रहे हैं।
संतुलित रासायनिक समीकरण वह है जिसमें समीकरण के दोनों ओर प्रत्येक तत्त्व के परमाणुओं की संख्या समान होती है।
उदहारण के लिए,हाइड्रोजन और क्लोरीन के बीच होनेवाली रासायनिक अभिक्रिया को निरूपित करनेवाले समीकरण को लें।
H2 + Cl2 ⟶ 2HClअसंतुलित रासायनिक समीकरण(Unbalanced chemical equation)
असंतुलित रासायनिक समीकरण वह है जिसमें समीकरण के दोनों ओर तत्त्वों के परमाणुओं की संख्याएँ समान नहीं होती हैं।
उदहारण के लिए ,हम निम्नांकित समीकरण को लेते हैं।
H2 + O2 ⟶H2O