कोशिका -जीवन की आधारभूत इकाई
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कोशिका -जीवन की आधारभूत इकाई

Koshika jeevan की aadharbhut mool ikai kyon hai

कोशिका जीवन कक्षा 9 की मूल इकाई क्यों है?

 प्रत्येक जीव का शरीर कोशिकाओं से बना होता है और कोशिका को जीवन की आधारभूत संरचना और क्रियात्मक इकाई (basic structural and functional unit of life)माना गया है। कोशिका जीवद्रव्य (protoplasm)से बनी एक रचना है ,जिसमे विभिन्न रासायनिक तत्त्व संयोजन कर यौगिक के रूप में उपस्थित रहते हैं।अकार्बनिक यौगिक मुख्यतः जल एवं लवण के रूप में तथा कार्बनिक यौगिक मुख्यतः प्रोटीन,वसा ,कार्बोहाइड्रेट ,न्यूक्लिकअम्ल  में रहते हैं। कोशिका में यह जीवद्रव्य एक छिद्रयुक्त चयनात्मक पारगम्य प्लासमाझिल्ली (selectively permeable plasma membrane) से घिरी रहती है एवं इसके बीच में एक केन्द्रक (nucles) होता हैं। 

कोशिकाओं में विविधता

 जीवो की कोशिकाओं के रूप में (shape),आकर (size)और संख्या(number)में काफी भिन्नता होती हैं।आप यदि नीचे के चित्र में देखें तो आपको विभिन्न कोशिकाओं के रूप और आकर में विविधता का ज्ञान सरलता हो जायेगा। 

कोशिकाएँ अलग-अलग आकर की होती हैं। यह कम-से-कम 0.1 माइक्रोमीटर (μm) का होता है,जैसे प्लूरोन्यूनोमिया (pleuroneumonia) और अधिकतम 170×135 मिलीमीटर का होता है ,जैसे शुतुरमुर्ग (ostrich)का अंडा। जीवाणु की कोशिका 1 माइक्रोमीटर से 10 माइक्रोमीटर व्यास तक की होती है। तांत्रिका कोशिकाओं (nerve cells) का आकर एक मीटर से भी अधिक लम्बा हो सकता है। तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)मनुष्य के शरीर की सबसे बड़ी कोशिका है। 

कोशिका -जीवन की आधारभूत इकाई

जैसा की चित्र से स्पष्ट है ,कोशिकाएँ विभिन्न रूपों की होती है। कुछ जीवो का शरीर सिर्फ एक कोशिका का बना होता है। ऐसे जीव एककोशकीय(unicellular) होते हैं ,जैसे अमीबा,पैरामीशियम ,क्लेमाइडोमोनस आदि। इन जीवो में जीवन सम्बन्धी सारे कार्य अकेली कोशिका द्वारा संपन्न होते हैं ,जबकि बहुकोशकीय (multicellular)जीवो का शरीर अनेक कोशिकाओं का बना होता है ,जैसे लगभग 60 किलोग्राम के एक मानव का शरीर में 60 ×1015 कोशिकाएँ पाई  जाती हैं।बहुकोशकीय जीवों में विभिन्न कार्यों को सुचारु रूप से संपन्न करने के लिए अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न अंगों का निर्माण करती हैं।इनमें श्रम का विभाजन(division of labour) होता है।विभिन्न प्रकार के पौधे(शैवाल,कवक,मॉस,फर्न आदि) तथा जंतु इसके उदहारण हैं। बहुकोशकीय जीवों का विकास एक कोशिका से ही कोशिका विभाजन द्वारा हुआ है। 

कोशिका का आकार एवं आकृति उसके कार्यों के अनुरूप होती है। कुछ कोशिकाएँ अपना आकार बदलती रहती हैं,जैसे अमीबा। हमारे रुधिर में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएँ(white blood cells) जिन्हें ल्यूकोसाइट्स कहते हैं,भी निरंतर अपना रूप बदलती रहती हैं।तंत्रिका कोशिका का आकार बहुत पतला और लंबे तार की तरह होता है। इसके द्वारा आवेगों(impulses) का चालन होता है। जैसे बिजली का चालन तारों द्वारा होता है,ठीक उसी प्रकार आवेगों का चालन तार की ही तरह लंबी,पतली तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में होता है। कुछ जीवों में कोशिका का आकार लगभग स्थिर रहता है। 

भिन्न-भिन्न जीवों में तथा एक ही जीव में अलग-अलग समय में,शरीर में कोशिकाओं की संख्या भी बदलती रहती है। कोशिकाओं की संख्या जीव के शरीर के आकार पर निर्भर करती है। उदहारण के लिए,चूहे के शरीर में कोशिकाओं की संख्या, हाथी के शरीर में मौजूद कोशिकाओं की संख्या से बहुत ही कम होगी। पौधों में भी वटवृक्ष(banyan tree) की तुलना में गुलाब के पौधे में कोशिकाओं की संख्या बहुत कम होगी। 

जीवन-व्यवस्था के स्तर 

प्रत्येक जीव के शरीर का निर्माण करनेवाली कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है। बहुकोशकीय जीवों में ये कोशिकाएँ आपस में समूह बनाकर ऊतक का निर्माण करती हैं। 

ऊतक 

एक-सी रचना और एक-सा कार्य करनेवाली कोशिकाओं के समूह को उत्तक कहते हैं। 

अंग (organ)

ऊतकों के समूह,जो किसी विशेष कार्य को संपन्न करते हैं तथा जिनका विशिष्ट संरचनात्मक संगठन होता है,अंग कहलाते हैं। 

उदहारणस्वरुप,हम भोजन के पाचन की संपूर्ण प्रक्रिया को लें। सबसे पहले भोजन का अंतर्ग्रहण(ingestion) होता है,फिर उसका पाचन(ingestion),अवशोषण(absorption),स्वांगीकरण(assimilation) और अनपचे भोजन का मल के रूप में शरीर से बाहर निष्कासन होता है। प्रत्येक कार्य अलग-अलग पाचन अंगों द्वारा,अर्थात मुख, अमाशय, आँत, यकृत आदि द्वारा संपन्न होता है। मुख, अमाशय, आँत, यकृत आदि सामूहिक रूप से एक विशेष तंत्र की रचना करते हैं,जिसे पाचन तंत्र(digestive system) कहते हैं।इसी प्रकार जीवों में श्वसन तंत्र (respiratory system),परिसंचरण तंत्र(circulatory system),उत्सर्जन तंत्र(excretory system) आदि रहते हैं।सभी अंगतंत्र मिलकर जीव या व्यष्टि(organism) का निर्माण करते हैं।    

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