पहले बताया जा चूका है की संतुलित रासायनिक समीकरण में तीर-चिन्ह(➝)के बाएँ और दाएँ ,दोनों ओर प्रत्येक प्रकार के परमाणुओं की संख्या सामान होती हैं। अतः ,रासायनिक समीकरण का संतुलन द्रव्यमान की आश्वरता के नियम पर आधारित होता है जिसके अनुसार,
समान्य रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थ का न तो निर्माण होता है और न उसका नाश ही।
दूसरे शब्दों में ,परमाणु अपना साथी(partner)बदलकर अन्य पदार्थ बना सकते हैं किन्तु परमाणु विलुप्त नहीं होते तथा किसी नए परमाणु का निर्माण भी नहीं होता है अर्थात किसी अभिक्रिया पर परमाणु संरक्षित(conserved) रहते हैं।
रासायनिक समीकरणों को संतुलित करने में निम्नांकित दो बातो को ध्यान में रखना आवश्यक हैं -
- अभिक्रिया के संबद्ध प्रत्येक पदार्थ के सूत्र /संकेत ज्ञात होने चाहिए।
- बायीं ओर के सूत्रों के अधोलिखित (subscripts)के अंक समीकरण को संतुलित करने क्रम में परिवर्तन हो सकते हैं।
अनुमान द्वारा संतुलन विधि(Balancing by hit-and-trial method):-इस विधि में समीकरण से सम्बद्ध पदार्थो के संकेत और सूत्र के ठीक पहले आवश्यक गुणक (coeficients)का प्रयोग किया जाता है। गुणक का चयन इस प्रकार से करते हैं कि समीकरण के तीर(➝) के दोनों ओर प्रत्येक प्रकार के परमाणुओं की संख्या सामान हो जाए।
उदहारण:-समीकरण Mg + HCl➝MgCl2+H2 को संतुलित करना।
उत्तर -(i)समीकरण के तीर-चिन्ह के दोनों ओर प्रत्येक प्रकार के परमाणुओं की गिनती कर लेते हैं। इसके बाद हम तय करते हैं की किस प्रकार के परमाणु असंतुलित हैं।
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Mg + 2HCl➝MgCl2+H2
ऐसा करने से हाइड्रोजन (H)और क्लोरीन (Cl) दोनों ही संतुलित हो जाते हैं।
(iii)अब यह जानने के लिए की समीकरण संतुलित हुआ या नहीं तीर-चिन्ह (➝)के दोनों ओर प्रत्येक प्रकार के परमाणुओं की गिनती करते हैं।
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