लेंसों की क्रिया

Er Chandra Bhushan
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एक उत्तल लेंस को हम ऐसा समझ सकते हैं की मानो किसी आयताकार सिल्ली (rectangular slab)के दोनों आमने-सामने के पृष्ठों पर दो प्रिज्म अपने आधारों पर रखे हो (निचे चित्र में देखिये)।अब यदि इस प्रकार के समूह पर प्रकाश की एक समान्तर किरणपुंज पड़े ,तो सिल्ली पर चूँकि किरण लंबवत पड़ेगी ,इसीलिए वो तो सीधी निकल जाएगी। फिर ,चूँकि प्रिज्म से गुजरकर किरण उसके आधार की ओर मुड़ जाती हैं ,इसीलिए दोनों प्रिज़्मों से गुजरकर प्रकाश की किरणे एक बिंदु की ओर अभिसरित (converge)हो जाएगी।  
lenson kee kriya
वास्तव में ,एक उत्तल लेंस को हम कई प्रिज़्मों के टुकड़ो का समूह मान सकते हैं (निचे के चित्र में देखिये)।प्रिज़्मों के आधार मुख्य अक्ष की ओर हैं और उनके अपवर्तक कोण घटते हुए क्रम में हैं ,इसीलिए ऐसे समूह पर समान्तर किरणपुंज पड़े तो सबसे किनारे वाले प्रिज्म से होकर जानेवाली किरण का विचलन सबसे अधिक होगा और जो प्रिज्म के मुख्य अक्ष के जितने निकट ,उसमे किरण का विचलन उतना ही कम होगा। अंत में ,मुख्य अक्ष पर विचलन कम होगा ,क्योंकि यहॉं प्रिज्म एक समान्तर सतह वाली सिल्ली जैसा है। अतः ,मुख्य अक्ष से होकर चलने वाली इस सिल्ली के सतह पर लंबवत पड़ने के कारण सीधे निकल जाती हैं। इस प्रकार ,एक उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरणें लेंस से अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के एक निश्चित बिंदु F पर अभिसरित (converge)होती हैं। इस बिंदु F को इस उत्तल लेंस का मुख्य फोकस (principal फोकस) कहते हैं। 

इसी प्रकार ,एक अवतल लेंस को हम ऐसा समझ सकते हैं मनो किसी आयताकार सिल्ली (rectangular slab)के दोनों आमने-सामने के पृष्ठों पर दो प्रिज्म अपने शीर्षो पर रखे हो। ऐसे समूह पर समान्तर किरणपुंज पड़े तो सिल्ली से सिल्ली से किरण सीधी निकल जाएगी ,परन्तु दोनों प्रिज़्मों से गुजरकर प्रकाश की किरणें उनके आधारों की ओर मुड़ जाएँगी,अर्थात अपसारित (diverse) हो जाएँगी। 

वास्तव में ,एक अवतल लेंस को भी हम कई प्रिज़्मों के टुकड़ों का समूह मान सकते हैं जिनके आधार लेंस के किनारो की ओर हैं और किनारे से मुख्य अक्ष की ओर इनके अपवर्तन कोण घटते हुए क्रम में हैं। इसीलिए ,यहॉँ भी किनारे वाले प्रिज़्मों से आनेवाली किरणों का विचलन सबसे अधिक होता हैं और मुख्य अक्ष की ओर बढ़ने पर विचलन घटता जाता हैं। अंततः मुख्य अक्ष पर विचलन शून्य होता हैं क्योंकि यहाँ भी प्रिज्म मात्र एक समान्तर सतह वाली सिल्ली जैसी हैं। प्रिज़्मों से होकर निकलनेवाली किरण चूँकि आधार की ओर मुड़ती हैं ,इसीलिए मुख्य अक्ष  के समान्तर चलनेवाली किरणे लेंस से निकलने के बाद मुख्य अक्ष के एक निश्चित बिंदु F से अपसारित होती प्रतीत होती हैं। इस बिंदु F को अवतल लेंस का मुख्य फोकस कहते हैं। 


कौन सा लेंस अभिसारी लेंस कहलाता है
उत्तल लेंस का कार्य उससे होकर जानेवाली किरणपुंज को अभिसरित (converge) करना हैं। यही कारण है कि उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस (converging lens) भी कहा जाता हैं। 
कौन सा लेंस अपसारी लेंस कहलाता है
अवतल लेंस का कार्य उससे होकर जाने वाली किरणपुंज को अपसारित (diverge)करना है। यही कारण हैं की अवतल लेंस को अपसारी लेंस (diversing lens)भी कहा जाता हैं। 
प्रत्येक लेंस के कितने मुख्य फोकस होते हैं- दो
कौन सा लेंस हवा में अभिसारी लेंस भी कहलाता है-उत्तल लेंस को 
उत्तल और अवतल लेंस के उपयोग-comming soon 
उत्तल लेंस और अवतल लेंस में क्या अंतर है
कौन सा लेंस अपसारी लेंस भी कहा जाता है-अवतल लेंस 
लेंस कितने प्रकार के होते हैं-दो प्रकार के 
अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिंब बनने का वर्णन कीजिए जब वस्तु (बिंब) को अनंत से लेंस की ओर लाया जाता है।
उत्तल लेंस से प्रतिबिम्ब का बनना
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