संघ 6. आर्थ्रोपोडा (Phylum 6. Arthropoda )
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संघ 6. आर्थ्रोपोडा (Phylum 6. Arthropoda )

आर्थ्रोपोडा जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ है। वस्तुतः ज्ञात जंतुओं के सम्पूर्ण संख्या के करीब 75 % इसी संघ के सदस्य हैं। 

  • ये जल (मृदुजलीय एवं समुंद्री) तथा स्थल के सभी प्रकार के वासस्थानों में पाए जाते हैं। ये स्वतंत्रजीवी तथा परजीवी दोनों होते हैं। 
  • इनका शरीर द्विपार्श्व सममित,ट्रिप्लोब्लस्टिक तथा खंडित(segmented)होता है। 
  •  इनमें मजबूत संघित उपांग (jointed appendages) होते हैं। 
  • सम्पूर्ण शरीरं कठोर निर्जीव क्यूटीकल के बाह्य कंकाल(exoskeleton)से ढँका होता है। 
  • इनके देहगुहा में रक्त भरा होता होता है ,इसीलिए देहगुहा हिमोसील (haemocoel)कहलाता है। 
  • आहारनाल पूर्ण होता है। मुख के चारों ओर मुखांग (Mouthparts)होते हैं। 
  • श्वसन गिल्स ,ट्रैकिया (trachea)या बुक लंग (book lung)द्वारा होता हैं। 
  • इनमें खुला रक्त परिसंचरण तंत्र होता है,अर्थात रक्त रक्तनलिकाओं (veins,capillaries)के अभाव में हिमोसील में ही प्रभावित  है। 
  • उत्सर्जित अंग मैलपीगियन नलिकाएँ (Malpighian tubules)होती हैं। 
  • ये एकलिंगी होते हैं। 
  • जीवन चक्र में कई अवस्थाएँ हो सकती हैं जैसे कीटों (मक्खी ,मच्छर ,तितली आदि)में अंडा से लार्वा से प्यूपा तथा अंततः प्यूपा से व्यसक कीट बनते हैं।  इसे कायांतरण (Metamorphosis) कहते हैं। 

फाइलम आर्थ्रोपोडा के दो या दो से अधिक उदाहरण

झींगा (palaemon =prawn),केंकड़ा (crab),तिलचट्टा (periplaneta =cockroach),मच्छर ,मक्खी ,गोजर(Scolopendra ),बिच्छू (scorpion),भृंग (beetle)आदि। 

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