विसरण एवं परासरण का महत्त्व
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विसरण एवं परासरण का महत्त्व

  1. जीव जगत में विसरण तथा परासरण बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। विसरण के द्वारा गैसों (O2 एवं CO2) का आदान-प्रदान कोशिका तथा बाहरी वातावरण के बीच होता रहता है। 
  2. वाष्पोत्सर्जन (transpiration)में जलवाष्प का बाहर निकलना विसरण द्वारा संपन्न होता है। 
  3. कोशिका को अपने बाहरी वातावरण से पोषण ग्रहण करने में विसरण मदद करता हैं। 
  4. विभिन्न अणुओं का कोशिका के भीतर अवशोषण तथा बाहर निकलना विसरण द्वारा संपन्न होता है। इसमें ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। 
  5. परासरण के द्वारा पौधे अपने मूल रोम (root hairs)से जल अवशोषित करते हैं। 
  6. पौधे की कोशिकाओं में परासरण द्वारा जल का संचलन होता है। यह क्रिया जाइलम ऊतकों द्वारा संपन्न होता है। 
  7. रंध्रों (stometa)के खुलने तथा बंद होने में परासरण की मुख्य भूमिका होती हैं। 
  8. पत्तियों में खाद्य पदार्थ के संश्लेषण होने के बाद पौधे के विभिन्न भागों में इसका वितरण परासरण के सिद्धांत द्वारा होता है। इसमें फ्लोयम ऊतक  भाग लेते हैं। 


विसरण किसे कहते है 
गैस,द्रव तथा विलेय के अणुओ की उनके अधिक सांद्रता के क्षेत्र की ओर होनेवाली गति को विसरण (diffusion)कहा जाता है। 
अंतः परासरण किसे कहते हैं
जब कोशिका को अल्पपरासरी विलयन (ऐसा विलयन जिनकी सांद्रता कोशिका के विलयन की अपेक्षा कम हो)में रखा जाता है तो बाहरी विलयन से पानी कोशिका के अंदर प्रवेश करता है। इस क्रिया को अन्तः परासरण (endomosis)कहते हैं। 
जल के अणु कोशिकाझिल्ली के दोनों ओरआते-जाते हैं,लेकिन कोशिका के अंदर जानेवाले जल की मात्रा कोशिका के बाहर आनेवाले जल की मात्रा से अधिक होगी। इसका परिणाम यह होता है जल के कोशिका के भीतर प्रवेश करने से कोशिका फूल जाएगी। 
परासरणमापी एवं अंडे की झिल्ली में परासरण प्रयोग का सचित्र वर्णन कीजिए।
एक बीकर में तनु ह्य्द्रोक्लोरिक 

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