यदि यह पथ अष्टभुजकी बजाय बीस समान भुजाओवाला बहुभुज (polygon)होता ,तो इस पथ पर चलने के लिए वस्तु को बीस बार दिशा बदलनी पड़ती। पथ की भुजाओ की संख्या जितनी अधिक होगी उसे उतनी ही बार दिशा बदलनी पड़ेगी।
यदि हम पथ की भुजाएँ बढ़ाते जाएँ तो पथ का आकार करीब-करीब वृताकार होता जाएगा। वास्तव में,वृत्त एक बहुभुज आकृति हैं ,जिसकीअनंत भुजाएँ हैं। अतः ,वृताकार पथ पर चलने के लिए वस्तु को अपनी दिशा प्रत्येक बिंदु पर बदलनी पड़ेगी।
वृतीये पथ पर गतिशील किसी वस्तु दिशा हम आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। किसी क्षण वस्तु वृत्तीय पथ पर जहाँ हो उस बिंदु से वृत्त पर स्पर्शरेखा (tangent)खींचते हैं(नीचे के चित्र में देखिये) उस क्षण वस्तु की गति की दिशा उस स्पर्श रेखा की दिशा में होगी। नीचे के चित्र में विभिन्न स्थितियो पर वस्तु की गति की दिशा को प्रदर्शित किया गया है। अतः हम पाते हैं की वृतीय पथ पर गतिशील कण अपनी दिशा लगातार बदलता रहता है भले ही उसकी चाल एकसमान हो। अतः ,वृतीय गति त्वरित गति (accelerated motion) का एक उदहारण है।
जब एक कण वृतीय पथ पर एकसमान चाल से चलता है तब उसकी गति को एकसमान वृतीय गति (uniform circular motion)कहा जाता है।
एकसमान वृतीय गति में वेग का परिमाण ,अर्थात चाल अचर रहता है;परन्तु वेग की दिशा प्रत्येक बिंदु पर स्पर्शरेखा की दिशा में होती हैं इस प्रकार वेग की दिशा लगातार बदलती रहती हैं। हम जानते है कि वेग का परिमाण बदले या दिशा या दोनों बदले तो वस्तु को त्वरित कहा जाता है। अतः,एकसमान वृतीय गति भी त्वरित गति का ही उदहारण हैं।
यदि किसी वृतीय पथ की त्रिज्या r हो और कोई कण उसपर एकसमान चाल v से गतिशील हो ,तो उस कण को एक चक्कर लगाने में ,अर्थात 2πr दुरी तय करने में लगा समय होगा -