अम्ल भस्म(क्षार) तथा लवण
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अम्ल भस्म(क्षार) तथा लवण

अम्ल एवं भस्म (Acid and Base)

सदियों से अम्ल तथा भस्म की परिभाषा उनके गुणों के आधार पर किया जाता रहा है। जैसे -

अम्ल वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयम 

  • स्वाद में खट्टा होता है तथा 
  • धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है। लगभग सभी खनिज अम्ल धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करते  हैं। एसिड (अम्ल)शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द एसिडस(acidus) से हुई ,जिसका अर्थ होता है -खट्टा। तथा,भस्म वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयम (i)स्वाद में कड़वा होता है तथा (ii)अम्ल को उदासीन कर लवण बनाता है। 
कुछ अम्ल दूसरे अम्ल की अपेक्षा तेजी से धातु को घुलाकर हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं। जैसे -लोहा कमरे के ताप पर जल से अभिक्रिया नहीं करता ,ऐसीटिक अम्ल लोहा से धीमी गति से अभिक्रिया करता है तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तेजी से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है 

2CH3COOH +Fe ⟶ (CH3COO)2 Fe +H2 ↑

2HCl +Fe ⟶FeCl2 +H 2

प्रारंभ में इस प्रयोग से प्रबल अम्ल तथा दुर्बल अम्ल में भेद को बताया जा सका। 


अम्ल तथा भस्म के आयनिक विवरण ऑक्साइड 

सभी अम्ल ,भस्म तथा लवण के जलीय विलयम विद्युत का संचालन करते हैं ,जिन्हे हम विद्युत-अपघट्य (electrolytes) कहते हैं, जैसे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल,सोडियम हाइड्रोक्साइड,सोडियम क्लोराइड आदि। वैसे यौगिक जिनके जलीय विलयम विद्युत का संचालन नहीं करते वे विद्युत-अपघट्य (nonelectrolyte) कहलाते हैं तथा ऐल्कोहॉल,ग्लूकोस ,यूरिया आदि। अम्ल ,भस्म तथा लवण के जलीय विलयम में उपस्थित आयन ही विलयम से होकर विद्युत-धारा के संचालन के लिए उत्तरदायी होते हैं। 

कार्यकलाप 

एक बीकर में तनु HCl का विलयम लें तथा इसमें धातु के दो इलेक्ट्रोड डालें। चित्रानुसार सर्किट(circuit) जोड़कर बिजली की धारा प्रवाहित करे। बिजली की धारा प्रवाहित करते ही बल्ब जलने लगता है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है की बिजली की धारा विलयम से होकर प्रवाहित हो रही है। अतः ,HCl अम्ल विद्युत  सुचालक होता है। 

          H2SO4 का जलीय विलयम भी विद्युत का संचालन करता है। 

NaOH,Ca(OH)आदि के जलीय विलयम से भी विद्युत की धारा प्रवाहित होती हैं,क्योंकि NaOH,Ca(OH)आदि जल में घुलकर आयन प्रदान करते हैं। 

ग्लूकोज तथा ऐल्कोहॉल के जलीय विलयम से विद्युत की धारा प्रवाहित नहीं होती है ,क्योंकि ये जल में घुलकर आयन प्रदान करते हैं।  


जल द्वारा विद्युत-अपघट्य(electrolyte) का आयनों में विघटन होने की क्रिया को आयनन (ionisation) कहते हैं। आयनन तनुता के साथ बढ़ता है। विलयम जितना ही तनु होगा आयनन की मात्रा (degree of ionisation)उतनी ही अधिक होगी। 

अम्ल हमेशा अम्लीय नहीं होते -अब हम कुछ अम्लों के आयनन पर विचार करते हैं। विशुद्ध एसीटिक अम्ल का सूचक पर कोई प्रवाभ नहीं पड़ता तथा यह धातु या धातु के कार्बोनेटों से अभिक्रिया नहीं करता है। यह विद्युत का कुचालक होता है। परन्तु एसीटिक अम्ल का जलीय विलयम अम्ल के सभी गुणों को प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार,शुद्ध एवं शुष्क HCl गैस जल की अनुपस्थिति में अम्ल के गुणों को प्रदर्शित नहीं करता,लेकिन HCl गैस का जल में विलयम अम्ल के सभी गुणों को दर्शाता है। अतः,इससे प्रमाणित होता है की अम्ल के अम्लीय गुणों को दर्शाने के लिए जल की उपस्थिति अनिवार्य है।   

कार्यकलाप 

एक साफ एवं सूखे कोणीय फ्लास्क में 5 g नमक लें। नीचे के चित्र के अनुसार उपकरण सजाएँ। थिसलकीप द्वारा कुछ सांद्र  H2SO4  नमक पर डालें।अभिक्रिया के फलस्वरूप HCl गैस निकलती है जो U-नली में रखे अनार्द्र CaCl2 से प्रवाहित  होकर निकाशनली से शुष्क HCl गैस के रूप में बाहर निकलती है। इस शुष्क गैस का प्रभाव शुष्क नीले लिटमस एवं आर्द्र नीले लिटमस पत्र पर देखें। 

इस शुष्क HCl गैस का शुष्क नीले लिटमस पत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है ,परंतु यह आर्द्र नीले लिटमस पत्र को लाल रंग में परिवर्तित कर देता है। 

आरहेनियस द्वारा अम्ल एवं भस्म(क्षार) की परिभाषा 

अम्ल वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) देता है। जैसे -HCl ,  H2SO4, HNO3,CH3OOH ,आदि अम्ल है ,क्योंकि ये जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करते हैं। 

HCl ⟶(H2O) H+ + Cl-

HNO(H2O) H+ + NO3(-)

 H2SO⟶(H2O) H+ + SO(-)

CH3OOH ⟶(H2O) H+ + CH3OO(-)

HPO4⟶(H2O) H+ + PO4(3-)

 H2CO3⟶(H2O) H+ CO3(2-)

याद रहे,जलीय विलयम में H(+) आयन स्वतंत्र रूप से विद्यमान नहीं होते होते बल्कि H(+) आयन जल (H2O) के अणु से जुड़कर H3O+)(हीड्रोनियम आयन)  बनाते हैं। 

भस्म(क्षार) वह पदार्थ है जो जलो में घुलकर हाइड्रोक्साइड आयन (OH-) देता है।जैसे  NaOH,KOH,NH4OH,Ca(OH)आदि भस्म हैं ,क्योंकि ये जलीय विलयम में हाइड्रोक्साइड आयन (OH-) देते हैं। 

NaOH ⟶(H2O) Na+ OH-

KOH ⟶(H2O) K+ OH-

NH4OH ⟶(H2O) NH4+ OH-

Ca(OH)2⟶(H2O) Ca2+ + OH-

जल में विलय भस्म को क्षार कहते हैं। 

उदासीनीकरण-अम्ल तथा भस्म की अभिक्रिया के फलस्वरूप लवण तथा जल बनते है। जैसे -

NaOH + HCl  ⟶ NaCl + H2

या  Na+ OH- +  H+ + Cl-  ⟶ NaCl + H2

धन आवेशित Na+    आयन अम्ल के ऋण आवेशित Cl- आयन से जुड़कर लवण NaCl बनाता है तथा H(+) और OH(-) आयन जुड़कर H2O बनाते हैं। चूँकि विलयम में H(+) तथा OH(-) आयन नहीं बना पाए जाते ,अतः विलयम न अम्लीय होता है और न क्षारीय,बल्कि उदासीन होता है। ऐसी अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। 

अम्ल और भस्म के गुण

1. अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। 

सिट्रिस फल(जैसे-नींबू ,संतरा ,कच्चे अंगूर) में सिट्रिक अम्ल विद्यमान होता है ,जिसका स्वाद खट्टा होता है। सिरका (6 - 8 % एसीटिक अम्ल) भी स्वाद में खट्टा होता है। सिरका आचार बनाने में रक्षक(preservative) के रूप में उपयोग किया जाता है। भस्म स्वाद में कड़वा होता है। 

कुछ प्राकृतिक पदार्थो में पाए जानेवाले अम्ल निम्न सारणी में दिए गए हैं। 


2.विषैले तथा तीव्रनाशक(संक्षारक) अम्ल 

कुछ अम्ल विषैले होते हैं तथा कार्बोलिक अम्ल (फिनॉल)।कुछ अम्ल संक्षारक(corrosive) व हानिकारक होते हैं तथा सल्फ्यूरिक अम्ल,जिसका उपयोग मोटरगाड़ी के बैटरी में बैटरी-अम्ल के रूप  किया जाता है तथा नाइट्रिक अम्ल,जिससे अनेक प्रकार के खाद एवं विस्फोटक बनाए जाते हैं। 

हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्राव(secretion) होते रहता है,जो हमारे भोजन को पचाने  सहायक होता है। लेकिन पेट में उत्पन्न होने वाले हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की मात्रा सामान्य से अधिक होने पर  अम्लीयता या गैस की शिकायत होती है। इसके उपचार हेतु प्रायः एंटासिड(antacid) का उपयोग जाता है।एंटासिड मूलतः क्षारीय होते हैं। जैसे-सोडियम बाइकार्बोनेट,मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड का विलयम आदि। घर में अगर नींबू ,सिरका तथा खाने के सोडा हो तो पेट की अम्लीयता को कम करने के लिए खाने के सोडा का विलयम ही असरदार होगा। सोडियम बाइकार्बोनेट हानिकारक नहीं होता,परन्तु अन्य भस्म जैसे चुना-जल Ca(OH)2  तथा  Ba(OH)2 विषैले तथा हानिकारक होते हैं। भस्म(NaOH , KOH) तीव्रनाशक होते हैं तथा चमड़े को जला देते हैं। टूथपेस्ट (toothpaste) भास्मिक प्रकृति का होता है जो हमारे मुँह में उपस्थित अम्ल को उदासीन करने में सक्षम होता है तथा दाँत की रक्षा करता हैं। 

शुक्र ग्रह(venus) का वातावरण हल्के पीले सल्फ्यूरिक अम्ल के बादलों से घिरा होता हैं ,अतः वेनस पर जीवन संभव नहीं हो सकता।

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