श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ है ?
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श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ है ?

श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने  के लाभ को समझने से पहले सबसे पहले हम समझते हैं की श्रेणीक्रम संयोजन और पार्श्वक्रम संयोजन क्या  होता है -

श्रेणीक्रम संयोजन :-

  • श्रेणीक्रम संयोजन में सभी प्रतिरोधों में एक ही धारा प्रवाहित होती है ,परन्तु उनके सिरों के बीच विभवांतर उनके प्रतिरोधों के अनुसार अलग-अलग होता है। 
  • अगर इसमें किसी एक प्रतिरोध को परिपथ से हटा दिया जाए तो बचे हुए प्रतिरोधकों से प्रवाहित होनेवाली धारा शून्य हो जाएगी। 
  • प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध सभी प्रतिरोधको के अलग-अलग प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है। 
  • समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोध के मान से अधिक होता है  

पार्श्वक्रम संयोजन:-

  • पार्श्वक्रम संयोजनमें सभी प्रतिरोधों के सिरों के बीच एक ही विभवांतर होता है ,परन्तु उनके प्रतिरोधों के मान के अनुसार उनमें भिन्न-भिन्न धारा प्रवाहित होती है। 
  • अगर इसमें किसी एक प्रतिरोधक को परिपथ से हटा दिया जाए तब भी बचे हुए अन्य प्रतिरोधकों से धारा प्रवाहित होती रहेगी। 
  • प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम सभी प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है। 
  • समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से कम  होता है। 

अतः श्रेणीक्रम संयोजन और पार्श्वक्रम संयोजन के विस्तार रूप से जानने के आप समझ गए होंगे की क्यों श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करना लाभप्रद होता है। 

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