परिचय -प्रकाश(light)से सम्बंधित कुछ मुख्य तथ्य(fact) ,जिनकी जानकारी आपको पिछले कक्षाओं में हो चुकी है तथा जिनका उपयोग आपको इस अध्याय और अगले दो अध्यायों में करना है ,जो निम्नलिखित है -
- प्रकाश और उसके स्रोत -वस्तुओं को देखने के लिए आँख के अतिरिक्त प्रकाश का होना भी आवश्यक है।अँधकार में हम कुछ भी नहीं देख पाते हैं। अतः ,प्रकाश वह कारक(factor) है जिसकी सहायता से हम वस्तुओं को देखते हैं। वास्तव में प्रकाश जब वस्तुओं से टकराकर हमारी आँख तक पहुँचता तब ही हम वस्तुओं को देख पाते हैं। जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है, उसे प्रकाश स्रोत(light source) कहा जाता है। कुछ प्रकाश स्रोत प्राकृतिक (natural) है और कुछ मानव-निर्मित(man-made)। सूर्य ,तारे आदि प्रकाश के प्राकृतिक स्रोत हैं। इनमे सूर्य हम पृथ्वीवासियों के लिए प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है। बिजली का जलता बल्ब या ट्यूब ,मोमबत्ती ,लैंप ,लालटेन ,दीया आदि प्रकाश के मानव निर्मित स्रोत हैं। प्रकाश के जितने भी स्रोत है उनमें अन्य प्रकार की विभिन्न ऊर्जाओं को प्रकाश में बदला जाता है। जैसे -लालटेन लैंप आदि में तेल में संचित रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश में बदला जाता है। इसी प्रकार ,बिजली के बल्ब और टॉर्च में विद्युत ऊर्जा को प्रकाश में परिणत किया जाता है। इस प्रकार ,हम पाते है की ऊर्जा के विभिन्न रूपों से प्रकाश की प्राप्ति होती है। अतः ,प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है।
- प्रदीप्त और अप्रदीप्त वस्तुएँ -कुछ वस्तुएँ प्रकाश उत्सर्जित करती हैं ;जैसे -सूर्य ,बिजली का जलता बल्ब ,जलती मोमबत्ती आदि। वे वस्तएँ जो प्रकाश उत्सर्जित करती है ,प्रदीप्त या दीप्तिमान (luminous)वस्तुएँ कहलाती हैं। कुछ वस्तुएँ प्रकाश उत्सर्जित नहीं करती ;जैसे -बेंच ,टेबुल ,कुर्सी ,पुस्तक ,पौधे आदि। वे वस्तुएँ जो प्रकाश उत्सर्जित नहीं करती ,अप्रदिप्त (nonluminous)वस्तुएँ कहलाती हैं। जब किसी प्रदीप्त वास्तु से निकलता प्रकाश किसी अप्रदीप्त वास्तु से टकराकर हमारी आँखों तक पहुँचता है तभी हम उस अप्रदीप्त वास्तु से देख पाते हैं। उदहारण के लिए ,चन्द्रमा का अपना प्रकाश नहीं होता ,वह अप्रदीप्त है। जब सूर्य से प्रकाश चन्द्रमा पर पड़ता है और उस प्रकाश का कुछ भाग परावर्तित होकर हम तक पहुँचता हैं तभी हम चन्द्रमा को देख पाते हैं। अतः,चाँदनी (चन्द्रमा से आता प्रकाश )वास्तव में सूर्य का परावर्तित प्रकाश ही हैं। प्रकाश (जैसे -सूर्य से आता प्रकाश ) जब सूक्ष्मकणों (जैसे -वायु के अणुओं या धूलकणों )पर पड़ता है,तो वे कण उनपर पड़नेवाले प्रकाश की कुछ ऊर्जा को अवशोषित (absorb)कर फिर उसे चारों ओर विकरित करते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकीर्णन (scattering) कहा जाता है। इसी प्रकीर्णित(scattered)प्रकाश के कारण हम दिन में ऐसी वस्तुओं को देख पते हैं ,जिस पर सूर्य का प्रकाश सीधे नहीं पड़ता।
- प्रकाश की किरणे-किसी प्रदीप्त पदार्थ (जैसे -मोमबत्ती की लौ या बिजली के जलते बल्ब) से प्रकाश सरल रेखा में सभी दिशाओं में जाता है। एक सरल रेखा पर चलने वाले प्रकाश को प्रकाश की किरण कहते हैं। चित्रों में सरल रेखा पर तीर का चिन्ह वह दिशा बताता है जिसमे प्रकाश चलता है। प्रकाश की किरणों के समूह को प्रकाश का किरणपुंज(beam)कहते हैं। मुख्यतः किरणपुंज तीन प्रकार के होते हैं - (a)अपसारी किरणपुंज (diverging beam)(b)समान्तर किरणपुंज (parallel beam) (c)अभिसारी किरणपुंज (converging beam) (a)अपसारी किरणपुंज -इस प्रकार के किरणपुंज में प्रकाश की किरणें एक बिंदु-स्रोत से निकलकर फैलती चली जाती हैं। (b)समान्तर किरणपुंज-ऐसे किरणपुंज में प्रकाश की किरणें एक-दूसरे के समान्तर होती है। बहुत अधिक दूरी पर स्थित प्रकाश-स्रोत (जैसे-सूर्य) से आते किरणपुंज को समान्तर किरणपुंज मन जाता है। (c)अभिसारी किरणपुंज-इस प्रकार के किरण पुंज में प्रकाश की किरणें एक बिंदु पर आकर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं। अतः ,ऐसे किरणपुंज में किरणों के बीच की दूरी घटती जाती है।
- पारदर्शी ,पारभासी और अपारदर्शी पदार्थ -वे पदार्थ जिनसे होकर प्रकाश आसानी से पर कर जाता हैं ,पारदर्शी (transparent)पदार्थ कहलातें है। काँच ,पानी ,हवा आदि पारदर्शी पदार्थ हैं। वे पदार्थ जो उनपर पड़नेवाले प्रकाश के एक छोटे-से भाग को ही अपने में से होकर जाने देते हैं ,पारभासी (translucent)पदार्थ कहलाते हैं। घिसा हुआ काँच ,तेल लगा कागज ,बैलून का रबर ,आँख की पलक ,ट्रेसिंग पेपर (बटर पेपर),चर्म ,रक्त ,दूध ,घना धुँआ ,हलके बादल ,कुहासा इत्यादि पारभासी पदार्थ हैं। वे पदार्थ जो प्रकाश को अपने में से होकर नहीं जाने देते है,अपारदर्शी (opaque)पदार्थ कहलाते हैं। लकड़ी लोहा ,पत्थर ,अलकतरा ,पेंट ,मोटा गत्ता ,धातु की प्लेट इत्यादि अपारदर्शी पदार्थ है।
Good
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