Introduction of Euclid's Geometry(यूक्लिड ज्यामिति का परिचय )
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Introduction of Euclid's Geometry(यूक्लिड ज्यामिति का परिचय )

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Introduction(परिचय)

गणित की वह शाखा जिसमें विभिन्न प्रकार की ज्यामितीय आकृतियों,जैसे -बिंदु ,रेखा,त्रिभुज,चतुर्भुज ,वृत्त इत्यादि का एवं उनके बीच पारस्परिक सम्बन्धो का अध्ययन किया जाता है ,उसे ज्यामिति कहते हैं। 

       ज्यामितीय शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों Geo(जियो) तथा metron(मेट्रन) से बना है।Geo का अर्थ है पृथ्वी या भूमि तथा metron का अर्थ है मापना।अतः ज्यामिति का शाब्दिक अर्थ भूमि मापन है।इससे स्पष्ट होता है कि ज्यामिति आरंभ भूमि मापने से हुआ है।ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में मिस्र और बेबोलियन के लोगों ने सबसे पहले (3000 ईसा पूर्व) ज्यामिति का अध्ययन शुरू किया था।उनलोगों द्वारा ज्यामिति का उपयोग व्यावहारिक कार्यो जैसे -भूमि मापने,खेतों के क्षेत्रफल ,बड़े-बड़े गोदामों के आयतन ज्ञात करने में किया जाता था।लेकिन ज्यामिति के क्रम्बद्ध अध्ययन की दिशा में उनका योगदान बहुत ही कम हैं।

        ज्यामिति का ज्ञान मिस्र  यूनान में पहुँचा। युनानियों ने ज्यामिति के अन्तर्गत बिंदुओं ,रेखाओं एवं समतल में बनी विभिन्न प्रकार की आकृतियों का अध्ययन क्षेत्रमिति(Mensuration) के माध्यम से किया। ज्यामिति का विकाश में एक ग्रीक गणितज्ञ थेल्स(Thales) का भी महत्वपूर्ण योगदान है। ज्यामिति में सबसे पहला proof (प्रमाण) थेल्स का ही आया उन्होंने प्रमाणित किया की किसी वृत्त का व्यास उसे दो सामान भागों मेंबाँटता है।थेल्स मिलेटस नगर का एक व्यापारी था। शुरू में व्यापार के माध्यम से उन्होंने काफी धन कमाया।लोगों का ऐसा मानना है की एक बार मिस्र की यात्रा के दौरान ही उनकी अभिरुचि ज्यामिति में हुई एवं यूनान लौटने पर उन्होंने अपने मित्रों से इसके बारे में काफी चर्चा भी की। 

     थेल्स के शिष्यों में एक पाइथागोरस उनके काफी प्रिय शिष्य थे और  काफी प्रसिद्ध भी हुए। पाइथागोरस ने अपना  एक स्कूल  खोला था वहीं पर उन्होंने ज्यामिति के कई महत्वपूर्ण परिणामों को सत्यापित  किया। 

    इसी दरम्यान मिस्र (Egypt) के अलेक्जेंड्रिया नामक नगर में यूक्लिड(Euclid)नामक एक गणित के शिक्षक का अभ्युदय हुआ। इन्हें ज्यामिति के पिता (Father of Geometry)भी कहा जाता है। कारण यह है की इन्होने ज्यामिति के अध्ययन में विचार-विमर्श(Discussion),परम्परा का विकाश किया एवं इस आधार पर कई ज्यामिति तथ्यों को प्रमाणित भी किया।उन्होंने कई ज्यामितीय अभिगृहितों एवं तर्कों का संग्रह करके पुस्तक लिखी जिसका नाम द एलिमेंट्स (the elements) है। इस पुस्तक में 13 खण्ड हैं।यद्यपि उन्होंने स्वंय खंडो को नहीं लिखा ,परन्तु तेरहवाँ खंड उन्हींउ उन्हीं के द्वारा लिखा गया है। 

मिस्र ,बेबीलोन एवं यूनान की तरह भारतवर्ष में भी एक से बढ़कर एक गणितज्ञ हुए।जैसे-(i)भाष्कर ,(जन्म 114 ई,जिन्होंने पाइथागोरस प्रमेय के प्रमाण की एक अलग विधि दी।(ii)आर्यभट्ट(जन्म 476 ई),जिन्होंने समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल,पिरामिड एवं गोले इत्यादि के आयतन निकालने की विधियाँ दी।(iii)ब्रह्मगुप्त ,(जन्म 598 ईoपूo)जिन्होंने चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल निकलने का सूत्र दिया। 

ज्यामिति पढ़ने के कारण (Reasons for Reading Geometry)

ज्यामिति पढ़ने के अनेक कारण हैं जिसमे दो मूल कारण निम्नलिखित हैं -

  1. विभिन्न प्रकार की ज्यामितीय आकृतियों के ज्ञान की हमारे जीवन में काफी उपयोगिता है ,जिनकी जानकारी हमें ज्यामिति से ही मिलती है। 
  2. ज्यामिति के अध्ययन से पाठकों के मस्तिष्क में तार्किक चिंतन का विकाश होता है।  

ज्यामितीय की आधारभूत संकल्पनाएँ -

ज्यामिति की तीन मौलिक संकल्पनाएँ हैं -(i)बिंदु(point),(ii)रेखा (line),तथा (iii)समतल (plane) ।यद्यपि ये तीनों ही संकल्पानएँ अपरिभाषित हैं,लेकिन यूक्लिड के अनुसार इनकी परिभाषा इस प्रकार दी गई हैं।

(i)बिंदु(point)-बिंदु वह ज्यामितीय आकृति है जिसमें न लम्बाई होती है ,न मुटाई होती है और न ही चौड़ाई। 

बिंदु को capital Alphabets,A,B,C,P,Q,R ,......... द्वारा सूचित किया जाता है। 

(ii)रेखा (line):रेखा वह है जिसमें केवल लम्बाई होती हैं ,चौड़ाई एवं मुटाई नहीं होती है।इसे दोनों ही दिशाओं में अनंत तक बढ़ाया जा सकता है। 

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इसे small letters द्वारा भी सूचित किया जाता है,जैसे-

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(iii)समतल(plane);-समतल वह है जिसमें लम्बाई एवं चौड़ाई होती है लेकिन मुटाई नहीं होती हैं। 

लेकिन समुच्च सिद्धांत (set theory) के विकाश ने इन सभी परिभाषाओं को बदल दिया है.अब वृत्त,रेखा,समतल ,इत्यादि को बिंदुओं का समुच्चय समझा जाने लगा है। 

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बिंदु :-बिंदु वह छोटा -सा चिन्ह है जिसमें लम्बाई,चौड़ाई एवं मोटाई कुछ भी नहीं होती है। साधारणतः एक बारीक़ नोकवाली पेन्सिल की नोक को कागज पर हल्का दबाने पर जो आकृति बनती है ,वह बिंदु है। इन बिंदुओं को A,B,C,D,....... इत्यादि से सूचित किया जा सकता है। 

सरल रेखा या रेखा :

सरल रेखा भी बिंदुओं का समुच्चय है। एक पेन्सिल द्वारा स्केल के सहारे कागज पर एक लकीर खींचने से बनी आकृति ही रेखा है। 

वास्तव में दो बिंदुओं के बीच के न्यूनतम रस्ते को ही रेखा कहते हैं। 

सरल रेखा को आधुनिक संकेतन में लिखने के लिए अंग्रेजी के दो बड़े अक्षरों के ऊपर दोनों तरफ तीर का चिन्ह लगी हुई एक रेखा खींच दी जाती है। जैसे रेखा AB को संकेत में AB के ऊपर दोनों ओर तीर का निशान लिख दिया जाता है।  

रेखाखण्ड (line segment)किसी सरल रेखा के एक खंड को रेखाखण्ड कहते हैं। जैसे l(ल्य) कोई रेखा है तथा इसपर A और B दो भिन्न बिंदुएँ है A एवं B के बीच की दुरी को रेखाखण्ड कहते हैं। 

जैसे -

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रेखाखण्ड AB के बार या BA के ऊपर बार दोनों एक ही है क्योंकि रेखाखण्ड के दोनों अंत बिंदु नियत होते हैं।

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