अरनेस्ट रदरफोर्ड (1871 -1937)
रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त,1871 में न्यूजीलैंड में हुआ था। परमाणु के नाभिक की खोज के लिए वे बहुत प्रसिद्ध हुए।उनकी एक पुस्तक रेडिओऐक्टिविटी (1904) से उन्हें विश्ववख्याति मिली। 1908 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रदरफोर्ड का α-कण प्रकीर्ण प्रयोग
इलेक्ट्रान परमाणु के भीतर किस प्रकार से व्यवस्थित है यह जानने के लिए 1911 में अरनेस्ट रदरफोर्ड ने प्रयोग किया।इस प्रयोग के अंतर्गत रेडियसक्रिय पदार्थ रेडियम द्वारा तीव्र गति से निकले α-कणों का सोने के पत्तर (foil) पर प्रहार कराया गया।
α-कण का आवेश +2 और द्रव्यमान 4 इकाई होता है। यह वस्तुतः He(+2) आयन है। चूँकि α-कणों का द्रव्यमान 4 amu होता है ,अतः तीव्र से चल रहे इन α-कणों में पर्याप्त ऊर्जा होती है।इस प्रयोग से रदरफोर्ड को निम्नलिखित सूचनाएँ मिलीं।
- अधिकांश α-कण अपने मार्ग से बिना विचलित हुए स्वर्ण पत्तर को पार करके सीधे निकल जाते हैं।
- कुछ α-कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हो जाते हैं।
- बहुत ही कम α-कण (100000 में से एक कण टकराकर अपने मार्ग पर पुनः वापस आ जाते हैं।)
इस प्रयोग से रदरफोर्ड ने निम्नांकित निष्कर्ष निकले।
- परमाणु में अधिकतर स्थान रिक्त है जिसके कारण अधिकतर α-कण उसमें से सीधे निकल जाते हैं।
- धन आवेशित α-कणों का सभी दिशाओं में विचलित होना यह दर्शाता है कि परमाणु के मध्य स्थान पर कोई सामान आवेश (धन आवेश) उपस्थित है।
- चूँकि स्वर्ण-पत्तर से टकराकर वापस लौटनेवाले α-कणों की संख्या बहुत कम होती है ,अतः परमाणु के अंदर उपस्थित धन आवेशित वस्तु का आयतन अत्यंत ही कम होता है।
परमाणु का केंद्र धनावेशित होता है जिसे नाभिक कहा जाता है। उपर्युक्त निष्कर्षो के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु का नाभिकीय मॉडल प्रस्तुत किया। इसके अनुसार ,
- परमाणु के सम्पूर्ण द्रव्यमान उसके नाभिक में होता है।
- परमाणु के अंदर अधिकांश स्थान रिक्त(empty) होते है।
- परमाणु में ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉनों और धन आवेशित प्रोटॉनों की संख्याएँ समान होने के कारण परमाणु विद्युतः उदासीन होता है।
- नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन की तुलना में काफी कम (नगण्य) होता है।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय पथों पर चक्कर लगाते हैं। इन वृत्तीय पथों को कक्षाएँ (orbit) कहते है।
परमाणु सौरमंडल की तरह होता है।इसके केंद्र में सूर्य की तरह होता है।इसके केंद्र में सूर्य की तरह नाभिक या केन्द्रक (nucleus) वर्तमान होता हैं जिसमें परमाणु का पूर्ण धन आवेश उपस्थित रहता है।इसके चारों ओर नक्षत्र की तरह इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते रहते हैं।
इलेक्ट्रॉन के वेग सेउत्पन्न अपकेंद्री बल (centrifugal force) नाभिक और इलेक्ट्रॉन के बीच लगे आकर्षण बल (centripetal force) को संतुलित करता है।
रदरफोर्ड मॉडल के दोष
(i) रदरफोर्ड मॉडल के निम्नलिखित दोष है।
रदरफोर्ड के अनुसार ,इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाया करते हैं ,'युक्तिसंगत नहीं लगता ,क्योंकि इस प्रकार का परमाणु कभी स्थायी नहीं हो सकता। विद्युत -चुम्बकीय सिद्धांत के अनुसार चक्कर लगानेवाले ऋण-आवेशित इलेक्ट्रॉन से लगातार ऊर्जा का क्षति होता रहेगा और नाभिक में गिर जाएगा और परमाणु का विनाश हो जाएगा। लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं होता है ,क्योंकि परमाणु स्थायी है।
(ii) रदरफोर्ड मॉडल की कक्षाओं में उपस्थिति इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की गई थी।