विद्युत ऊर्जा
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विद्युत ऊर्जा

यदि किसी बिजली के बल्ब पर 220 V ,60W [जिसे अनुमतांक(rating) कहा जाता है ]लिखा हो ,तो इसका अर्थ होता है कि यदि किसी मकान के विद्युत-परिपथ में इसे लगा दिया जाए तो यह 220 वोल्ट के विभवांतर पर 60W शक्ति का उपयोग करेगा अर्थात प्रति सेकंड इस बल्ब के कारण 60 जूल विद्युत ऊर्जा का व्यय होगा। 

 विद्युत ऊर्जा के घरेलू तथा व्यावसायिक उपयोग के पठन के लिए जूल (J) एक छोटा मात्रक है। इसके लिए एक दूसरे मात्रक का व्यवहार होता है। यदि विद्युत-परिपथ में 1 किलोवाट (kW),अर्थात 1000 वाट(W) का कोई उपस्कर (उपकरण ,appliance),जैसे हीटर लगाया जाए और इसे एक घंटे तक जलाया जाए तो हम कहते हैं कि परिपथ में 1 किलोवाट घंटा (kWh) को 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा भी कहा जाता है। 

1 kWh =(1 किलोवाट) × (1 घंटा)

=(1000 वाट) ×(60 ×60 सेकंड)

=3.6 ×10^6 वाट सेकंड 

=3.6 × 10^6 जूल (J)

अतः , 1 kWh =3.6 ×10^6 J . 

द्रष्टव्य:-

 मकानों में बिजली के मीटरों से बिजली के उपयोग का पठन बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट (Board of Trade unit),जिसे संक्षेप में BOT यूनिट या केवल यूनिट लिखते है, में लिया जाता है। अतः 1 यूनिट =1 BOT यूनिट =1 kWh =3.6×10^6 J.] 

विद्युत-धारा के उष्मीय प्रभाव के उपयोग 

विद्युत-धारा के उष्मीय प्रभाव का हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्तवपूर्ण स्थान है। घरेलू उपकरणों ,जैसे -बिजली का चूल्हा (हीटर),विद्युत इस्तिरी (आयरन),रूम हीटर ,टोस्टर ,निमज्जन तापक(immersion heater),सोल्डरिंग इत्यादि में विद्युत-धारा के उष्मीय प्रभाव का ही उपयोग होता है। 

इन युक्तियों या उपस्करों(appliances) के जिस भाग में विद्युत-धारा प्रवाहित करने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है,उसे तापन अवयव ऐसे पदार्थ से बने होने चाहिए जिनकी 

  1. प्रतिरोधकता(resistivity) बहुत अधिक हो,ताकि इसके साधारण लंबाई एवं मोटाई वाले तार का प्रतिरोध अधिक हो और इनमें कम धारा प्रवाहित होने पर भी अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सके ,और  
  2. गलनांक अत्यधिक उच्च हो,ताकि इनमें प्रबल धारा(heavy current) प्रवाहित होने पर उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा से तापन अवयव पिघले नहीं।  

 अधिकांश तापन अवयवों में निकेल(60 %),क्रोमियम(12 %),मैंगनीज (2%) तथा लोहा (26%) के मिश्रधातु(alloy) जिसे नाइक्रोम(nichrome) कहते हैं, का उपयोग किया जाता है।इसकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है और साथ ही इसका गलनांक भी अत्यधिक उच्च होता है। 

1.विद्युत तापक (Electric heater)-विद्युत तापकों में नाइक्रोम के तार की कुंडली विद्युतरोधी पदार्थ (जैसे -चीनी मिट्टी ,अभ्रक आदि) के आधार पर फैली रहती है। कुंडलियों और विद्युतरोधी आधारों का डिजाइन उपकरण के उपयोग के अनुसार होता है। अतः,बिजली का चूल्हा (हीटर),विद्युत केतली ,विद्युत इस्तिरी(आयरन) आदि का अपना-अपना डिजाइन होता है।परंतु ,इन सभी के कुंडली में जब प्रबल धारा प्रवाहित होती है ,तब यह गर्म होकर ऊष्मा उत्पन्न करती है। 
2.विद्युत बल्ब - विद्युत बल्ब में टंगस्टन के पतले तार की एक छोटी ऐंठी हुई कुंडली होती है जिसे तंतु या फिलामेंट कहते है। यह तंतु मोटे आधारी तारों द्वारा धातु के दो स्पर्शक बटनों या स्टडों(contact studs) से जुड़ा होता है। तंतु एक काँच-बल्ब में बंद रहता है। बल्ब के अंदर निम्न दाब पर नाइट्रोजन और आर्गन जैसे निष्क्रिय गैसों का मिश्रण प्रायः भरा रहता है।
विद्युत बल्ब

यदि फिलामेंट से हवा-माध्यम में धारा प्रवाहित कराई जाए तो यह हवा के ऑक्सीजन से ऑक्सीकृत(oxidised) होकर भंगुर(brittle) हो जाएगा और टूट जाएगा। इसीलिए फिलामेंट जिस काँच-बल्ब के भीतर व्यवस्थित रहता है,उसकी हवा निकालकर निष्क्रिय गैस(inert gas) भर दी जाती है। गैसों को निम्न दाब पर भरा जाता है ताकि संवहन(convection) द्वारा ऊष्मा की हानि कम हो। 
विकिरण(radiation) द्वारा ऊष्मा की हानि को न्यूनतम करने के लिए तंतु का पृष्ठ-क्षेत्रफल(surface area) कम-से-कम होना चाहिए। इसीलिए,तंतु को कुंडलित आकार दिया जाता है। 
टंगस्टन का फिलामेंट इसीलिए बनाया जाता है कि इसका गलनांक अत्यधिक उच्च(लगभग 3400℃) होता है। अतः यह बिना गले 2700℃ का श्वेत-तप्त ताप(white-hot temperature) प्राप्त कर सकता है।चूँकि टंगस्टन की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है,इसलिए पतला और लंबा तंतु लेना पड़ता है ताकि प्रतिरोध अधिक हो और ऊष्मा अधिक उत्पन्न हो। 
3. सुरक्षा फ्यूज - बिजली के उपस्करों तथा मकानों में बिजली की धारा ले जाने के लिए जो परिपथ बनाया जाता है उसमें काँच की नली या चीनी मिट्टी या एक तरह के प्लास्टिक से ढँके उपकरण होते हैं जिन्हें फ्यूज(fuse) कहा जाता है।इसमें जस्ता या लेड(सीसा) और टिन की मिश्रधातु का तार लगा होता है।इसकी प्रतिरोधकता अधिक और गलनांक कम होता है।अतः,जब परिपथ में अचानक धारा की प्रबलता आवश्यकता से अधिक बढ़ जाती है तब धारा से उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा फ्यूज के तार को पिघला देती है और परिपथ टूट जाता है।इससे परिपथ में लगे पंखे,बल्ब फ्रिज,टेलीविजन ,ट्रांजीस्टर,मोटर आदि उपकरण जलने से बच जाते हैं। 
विद्युत ऊर्जा

विद्युत-धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुँचते ही फ्यूज गल जाता है (जिसे साधारण भाषा में हम फ्यूज उड़ जाना कहते हैं),उसे फ्यूज या फुज तार का अनुमतांक क्षमता) कहते हैं।उदहारण के लिए, 5A के फ्यूज का अर्थ यह है कि धारा की प्रबलता 5A से बढ़ते ही फ्यूज तार गल जाएगा।जब भी किसी चालक से विद्युत-धारा प्रवाहित होती हैं, कुछ -न-कुछ ऊष्मा उत्पन्न होती है।यदि हम इस ऊष्मा का उपयोग नहीं करते तो यह ऊर्जा की बर्बादी है।कभी-कभी किसी विद्युत उपस्कर(appliance) में इतनी ऊष्मा उत्पन्न होती है कि इससे वह उपस्कर बर्बाद हो सकता है।इस प्रकार से उत्पन्न ऊष्मा से उपस्कर को हानि न पहुँचे इसके लिए उस उपस्कर में ठंडक पैदा करने या उस हानिकारक ऊष्मा के बाहर निकल जाने के इंतजाम किए जाते हैं।उदहारण के लिए ,TV सेटों के कैबिनेट में हवा के बहने के लिए जाली बनी होती है।किसी-किसी उपकरण,जैसे कम्प्यूटरों में उनके अंदर के पुर्जों को ठंडा रखने के लिए छोटे-छोटे पंखे लगे रहते हैं।

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