स्मरणीय (remember) मानव नेत्र
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स्मरणीय (remember) मानव नेत्र

  • मानव नेत्र या आँख(human eye) एक प्रकृति प्रदत्त प्रकाशीय यंत्र(optical instrument) है। 
  • आँख द्वारा अपने सिलियरी पेशियों के तनाव कोप घटा-बढ़ा कर अपने लेंस की फोकस-दूरी को बदलकर दूर या निकट की वस्तु को साफ-साफ देखने की क्षमता को समंजन-क्षमता(power of accommodation) कहते है। 
  • सामान्य आँख(normal eye) 25 cm (निकट-बिंदु) से अनंत दूरी(दूर-बिंदु) तक की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है। 
  • जिस न्यूनतम दूरी तक आँख वस्तु को साफ-साफ देख सकता है,उसे स्पष्ट-दूरी की न्यूनतम दूरी (least distance of distinct vision) कहते हैं। यह दूरी लगभग 25 cm होती है। 
  • नेत्र से बहुत दूर स्थित या निकट स्थित वस्तुओं का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना पर बनाने की क्षमता खो देने को दृष्टि दोष (defects of vision) कहते हैं। 
मानव नेत्र में दृष्टि दोष मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं -

(i) निकट-दृष्टि दोष (shortsightedness or myopia) 

(ii) दूर-दृष्टि दोष (farsightness or hypermetropia)

(iii) जरा-दूरदर्शिता (presbyopia)

  • जिस नेत्र में निकट-दृष्टि दोष होता है वह दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता है। इस दोष को दूर करने के लिए अपसारी(diverging) या अवतल(concave) लेंस का व्यवहार किया जाता है। 
  • जिस नेत्र में दूर-दृष्टि दोष होता है वह निकट(25 cm पर) स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता है। इस दोष को दूर करने के लिए अभिसारी(converging) या उत्तल(convex) लेंस का व्यवहार किया जाता है। 
  • उम्र बढ़ने के साथ वृद्धावस्था में नेत्र-लेंस की लचक कम हो जाने पर और सिलियरी मांसपेशियों की समंजन-क्षमता घट जाने के कारण जरा-दूरदर्शिता का दोष उत्पन्न होता है। इस दोष को दूर करने केक लिए बाइफोकल(bifocal) लेंस का व्यवहार करना पड़ता है। 
  • वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण हमें तारे टिमटिमाते(twinkling) प्रतीत होते हैं। 
  • वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के बीच का समय लगभग 4 मिनट बढ़ जाता है। 
  • श्वेत प्रकाश (white light) कई रंगों का मिश्रण है। 
  • श्वेत प्रकाश के अपने विभिन्न अवयवों में विभाजन को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण(dispersion of light) कहते है। 
  • श्वेत प्रकाश से प्राप्त रंगीन प्रकाश की पट्टी को स्पेक्ट्रम(वर्णपट) कहते है और इसमें वर्णों(रंगों) का क्रम होता है -बैंगनी (V),जामुनी(I) ,नीला(B), हरा(G) पीला(Y),नारंगी(O) तथा लाल(R)।[संक्षेप में इसे बैजनीहपीनाला(VIBGYOR) कहते हैं।]
  • बैंगनी(violet) वर्ण(रंग) के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सबसे कम और लाल(red)  वर्ण(रंग) के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है। 
  • श्वेत प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण में बैंगनी रंग का विचलन(deviation) सबसे अधिक होता है और लाल रंग का सबसे कम। 
  • किसी कण पर पड़कर प्रकाश के अंश के विभिन्न दिशाओं में छितराने को प्रकाश का प्रकीर्णन (scattering) कहते हैं। 
  • किसी माध्यम में छोटे-छोटे कणों के निलंबन को कोलॉइड(colloid) कहा जाता है। 
  • किसी कोलॉइडीय विलयन में निलंबित कणों से प्रकाश के प्रकीर्णन को टिंडल प्रभाव (Tyndall effect) कहा जाता है। 
  • सूक्ष्म कण अधिक तरंगदैर्ध्य के प्रकाश की अपेक्षा कम तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक अच्छी तरह करते हैं। कणों के साइज के बढ़ने के साथ-साथ बड़े तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक होने लगता है। काफी बड़े कण सभी रंगों के प्रकाश का लगभग समान रूप से प्रकीर्णन करते हैं।

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