किसी गतिशील वस्तु की चाल (speed) वह राशि है जो यह बताती है कि वस्तु कितनी तेजी से गति कर रही है।
परिभाषा:- किसी वस्तु द्वारा किसी अंतराल में तय की गई दूरी और उस समय अंतराल के अनुपात को उस वस्तु की औसत चाल कहते हैं। अर्थात ,
औसत चाल = तय की गई कूल दूरी/दूरी तय करने में लगा समय
अतः, किसी वस्तु द्वारा किसी समय अंतराल में औसत चाल उस वस्तु द्वारा इकाई समय (unit time) में तय की गई दूरी है।
उदाहरणार्थ,रेलमार्ग से राँची से पटना के बीच की दूरी 414 km है। पटना-हटिया सुपरफास्ट ट्रेन पटना से 11.00 बजे दिन में चलकर रात 8.00 बजे राँची पहुँचती है। अतः,उसे 414 km दूरी तय करने में 9 घंटे लगता है। इस 9 घंटे के समय अंतराल में
पटना-हटिया सुपरफास्ट ट्रेन की औसत चाल
=414 km/9 h
=46 km/h .
चाल(speed)
औसत चाल से केवल यह अनुमान होता है कि पुरे समय अंतराल में कोई वस्तु कितनी तेज चल रही है।किन्तु इससे यह पता नहीं चलता कि किसी विशेष क्षण(instant) पर उस वस्तु की चाल क्या थी।
उदाहरणार्थ, यदि किसी ट्रेन की चाल शाम के चार बजे निकलना हो,तो हम एक छोटे समय अंतराल,जैसे 4.00 p.m से 4.01 p.m तक उसके द्वारा तय की गई दूरी मापते हैं। यदि यह दूरी 1.2 किलोमीटर हो,तो 4.00 p.m से 4.01 p.m के बीच ट्रेन की औसत चाल
=1.2 किलोमीटर /1 मीटर
= 1.2 km /(1/60)h
=72 km/h
चूँकि यह समय अंतराल, 1 मिनट,बहुत छोटा है,इसीलिए हम मान लेते हैं कि इस छोटे से समय अंतराल में ट्रेन की चाल एकसमान(uniform) रही होगी। अतः,हम किसी वस्तु की,किसी क्षण,चाल इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं।
किसी वस्तु द्वारा एक छोटे समय अंतराल में तय की गई दूरी और उस समय अंतराल के अनुपात को उस वस्तु की चाल (speed) कहते हैं।
एकसमान चाल(uniform speed)
यदि कोई वास्तु बराबर समय अंतराल में बराबर दूरी तय करे,चाहे वह समय अंतराल कितना ही छोटा क्यों न हो,तो कहा जाता है कि वह एकसमान चाल(uniform speed) से गति कर रही है।
यदि कोई वस्तु एकसमान चाल से गति कर रही हो,तो किस क्षण उसकी चाल किसी भी समय अंतराल में उसके औसत चाल के बराबर होती है। यदि वस्तु किसी समय अंतराल t में s दूरी तय करती हो,तो किसी क्षण उसकी चाल
v =s /t
या s =vt
चाल का मात्रक
दूरी को समय से विभाजित करने से चाल मिलती है।
अतः,चाल का मात्रक =दूरी का मात्रक /समय का मात्रक
यदि दूरी को मीटर(m) में और समय को सेकंड(s) में मापा जाए तो चाल का SI मात्रक मीटर/सेकंड (m/s) होगा।
यदि दूरी को किलोमीटर(km) में और समय को घंटा (hour संक्षेप में h) में मापा जाए तो चाल का मात्रक किलोमीटर/घंटा (km/h) होगा। हम इन मात्रकों को एक-दूसरे में बदल भी सकते हैं। उदहारण के लिए,
1 km/h =1000 m /(60×60 s)
=(5/18)m/s
अतः 18 km/h =5 m/s
अर्थात, एक ही वस्तु की चाल का संख्यात्मक मान भिन्न-भिन्न होता है। ध्यान दें कि दो राशियों की तुलना करने में उन्हें समान मात्रकों में व्यक्त होना चाहिए।
कुछ वस्तुओं की औसत चाल
असमान चाल
चाल प्रायः असमान (nonuniform) होती है। जब कोई रेलगाड़ी एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक जाती है तब पहले स्टेशन पर वह रुकी रहती है,अर्थात उसकी चाल शून्य होती है,प्रस्थान करने पर गाड़ी अपनी चाल बढाती(speed up)है ,कुछ समय अंतराल तक अचर चाल से चलती है,वह तब चाल धीमी (slow down) करती है। और दूसरे स्टेशन पर अंत में रुक जाती है,अर्थात उसकी चाल फिर शून्य हो जाती है। अतः चाल बढ़ाने या चाल धीमी करने के दौरान रेलगाड़ी समान समय अंतराल में असमान दूरी तय करती है ;अर्थात उसकी चाल असमान चाल होती है।
कोई वस्तु समान समय अंतराल में जब असमान दूरी चलती है तब उसकी चाल असमान चाल कही जाती है।दृष्टव्य-जब किसी वस्तु की चाल में परिवर्तन होता है,अर्थात जब वस्तु की चाल बढ़ती है या घटती है,तो हम कहते हैं कि वस्तु को त्वरण (accelaration) प्राप्त है या कि वस्तु त्वरित हो रही(accelerating) है।
समान और असमान गति का प्रायोगिक प्रदर्शन -
इसके लिए एक क्षैतिज तख्ते से कब्ज़ा द्वारा जुड़े एक नत (या आनत) तख्ते पर एक गुटका (या बलॉक) रखते हैं और नत तख्ते का झुकाव-कोण बढ़ाते हैं। हम देखते हैं कि एक निश्चित झुकाव कोण पर गुटका को नत तख्ते पर नीचे की ओर चलाने पर वह समान समय अंतरालों में समान(बराबर) दूरियाँ तय करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गुटके की गति समान(या एकसमान,uniform) है।
अब,नत तख्ते का झुकाव-कोण बढ़ाते हैं। हम देखते हैं कि गुटका तेज गति से नत तख्ते पर नीचे की ओर चलने लगता है और वह समान समय अंतरालों में बढ़ी हुई (अर्थात अधिक) दूरियाँ तय करता है। इससे स्पष्ट होता है कि अब गुटके की गति असमान(या नैकसमान,nonuniform) है।
वेग(velocity)
किसी वस्तु की चाल से हमें यह पता चलता है कि वस्तु कितनी तेजी से गति कर रही है। यदि चाल ज्ञात हो, तो हम किसी दिए गए समय अंतराल में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी ज्ञात कर सकते हैं। परंतु,उस समय अंतराल के बाद वस्तु की स्थिति को जानने के लिए,हमें उस दिशा का भी ज्ञान होना चाहिए जिसमें वह वस्तु गति कर रही है। जब हमें गतिशील वस्तु की चाल(speed) और दिशा (direction) दोनों ज्ञात हों,तो हमें उस वस्तु का वेग(velocity) प्राप्त होता है।
किसी वस्तु का वेग वह राशि है जो वस्तु की चाल और गति की दिशा देती है।उदहारण के लिए,जब हम कहते है कि किसी कार का वेग '60 km/h पूर्व' है तो हमारे कहने का तात्पर्य होता है कि कार 60 km/h की चाल से पूर्व(east) दिशा की ओर जा रही है।
यदि किसी वस्तु की चाल या उसकी गति की दिशा में परिवर्तन हो,तो वस्तु के वेग में परिवर्तन हो जाता है। उदहारण के लिए वेग, '15 m/s पूर्व' और वेग 15 m/s उत्तर ' एक नहीं हैं। यहाँ वेग का परिणाम '15 m/s' तो एक है,परंतु वेग की दिशाएँ भिन्न हैं। उसी प्रकार वेग '10 m/s पश्चिम' और वेग '15 m/s पश्चिम' भी भिन्न हैं,क्योंकि यहाँ दिशा 'पश्चिम' तो एक है,परंतु चाल भिन्न हैं।
वेग को पूरी तरह दर्शाने के लिए परिणाम के साथ-साथ दिशा भी आवश्यक है,अतः,वेग भी विस्थापन के समान सदिश(vector) राशि है।
वेग का मात्रक -स्पष्ट है कि वेग का वही मात्रक है जो चाल का है। अतः,वेग का मात्रक मीटर/सेकंड(m/s) या किलोमीटर/घंटा(km/h) इत्यादि हो सकता है।
वेग और चाल
वेग - कीसी गतिमान वस्तु का वेग इकाई समय में वस्तु का विस्थापन है।
अर्थात, वेग =विस्थापन /समय
अतः,यदि समय अंतराल t में किसी वस्तु का विस्थापन s हो, तो वेग का परिणाम
v = s/t
चूँकि समय हमेशा आगे बढ़ता है,इसीलिए t हमेशा धनात्मक होगा ,अतः वेग का चिन्ह वही होगा जो विस्थापन का है। जब विस्थापन धनात्मक (धनात्मक दिशा में) है ,तो गति धनात्मक दिशा में होती है और वेग धनात्मक होता है,चाहे निर्देशक रेखा पर कहीं भी विस्थापन होता हो।इसके विपरीत,जब विस्थापन ऋणात्मक है तो वेग ऋणात्मक होता है और गति ऋणात्मक दिशा में होती है।
उदहारण के लिए,चित्र में यदि प्रत्येक विस्थापन (s1 और s2) 0.5 सेकंड में (मान लिया) हुआ हो,अर्थात t=0.5 s ,तब वेग
v1= s1/t =+2 m /0.5 s =+20 m /5 s=+4 m /s
चाल -
चाल(speed) सिर्फ बताती है कि वस्तु कितनी तेज चल रही है और इसमें दिशा का ख्याल नहीं किया जाता। चाल वेग का सिर्फ परिणाम(magnitude) होती है। उपर्युक्त दोनों वेग के लिए चाल 4 m/s है।
चाल और वेग में अंतर
चाल इकाई समय में चली गई दूरी है जिसमें गति की दिशा का जिक्र नहीं होता। अतः, चाल को सिर्फ परिणाम होता है और यह अदिश राशि है। इसके विपरीत,वेग बताई गई दिशा में इकाई समय में चली गई दूरी है। अतः,वेग को परिणाम और दिशा दोनों होते हैं और यह सदिश राशि है।
चाल में परिवर्तन सिर्फ उसके परिमाण में परिवर्तन से संभव है,जबकि वेग में परिवर्तन उसके परिणाम में,उसकी दिशा में या परिमाण और दिशा दोनों में परिवर्तन से हो सकता है। अतः,
अचर वेग में अचर चाल अंतर्निहित है,जबकि अचर चाल में अचर वेग अंतर्निहित नहीं है।
द्रष्टव्य - हमने देखा है कि जब कोई कण बिना दिशा-परिवर्तन के सरल रेखा पर चले तो विस्थापन का परिणाम और तय की गई दूरी,दोनों बराबर होंगें।
त्वरण-
जब किसी वस्तु का वेग बदल रहा है,तो कहा जाता है कि वस्तु त्वरित हो रही (accelerating) है।
समय के साथ वेग के परिवर्तन की दर को त्वरण(acceleration) कहते हैं।
- त्वरण धनात्मक माना जाता है यदि वेग बढ़ रहा होता है।
- त्वरण ऋणात्मक माना जाता है यदि वेगघट रहा होता है।
- ऋणात्मक त्वरण क अवत्वरण(deceleration) या मंदन(retardation) भी कहा जाता है।
यदि t1 से t2 के बीच समय अंतराल में वेग v1 से बदलकर v2 हो जाए,तो वेग में परिवर्तन,v2 -v1 और समय अंतराल t2 - t1 के अनुपात को इस समय अंतराल में औसत त्वरण a कहा जाता है, अर्थात
a =v2 -v1/ t2 - t1
औसत त्वरण की दिशा वेग में परिवर्तन की दिशा में होती है।अतः, त्वरण को परिणाम और दिशा दोनों है ,अर्थात त्वरण एक सदिश राशि है।
द्रष्टव्य - यदि त्वरण की दिशा वेग की दिशा में हो तो वेग का परिमाण बढ़ेगा और यदि त्वरण की दिशा वेग की दिशा के विपरीत हो तो वेग का परिमाण घटेगा।