गति(Motion) class 9th physics
Type Here to Get Search Results !

गति(Motion) class 9th physics

विराम एवं गति(rest and Motion)

हम अपने आसपास की वस्तुओं को विराम (rest) में या गति(Motion) में देखते हैं। उदहारण के लिए, कमरे की दीवार,टेबुल,पौधा,पेड़ इत्यादि अपने स्थान(positions) नहीं बदलते हैं,अर्थात वे विराम में रहते हैं। इसके विपरीत,चलती हुई गाड़ी,टहलता हुआ व्यक्ति,दौड़ता हुआ बालक इत्यादि अपने स्थान बदलते हैं,अर्थात वे गति में हैं। 

यदि किसी वस्तु की स्थिति (positions) अन्य वस्तुओं की अपेक्षा समय के साथ नहीं बदलती हो,तो उस वस्तु को विराम(rest) में कहा जाता है। 

यदि किसी वस्तु की स्थिति अन्य वस्तुओं की अपेक्षा समय के साथ बदलती हो,तो उस वस्तु को गति (Motion) में कहा जाता है।

चलती हुई रेलगाड़ी की डिब्बे (compartment) में बैठा व्यक्ति रेलपटरी या प्लेटफॉर्म(plateform) की अपेक्षा गति में है ,किंतु उस डिब्बे के आपेक्षिक वह विराम में है। अतः,जिन वस्तुओं की अपेक्षा कोई वस्तु गति या विराम में है,उन वस्तुओं को बताना आवश्यक है। विराम एवं गति की उपर्युक्त परिभाषाओं से हम देखते हैं कि विराम और गति दोनों पद आपेक्षित (relative) हैं। 

दृष्टव्य - कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई वस्तु गतिमान प्रतीत होती है जबकि वास्तव में वह विरामावस्था में रहती है। उदहारण के लिए,मान लिए कि एक स्टेशन पर दो रेलगाड़ियाँ A और B खड़ी हैं। B जब चलने लगती है तो A पर सवार व्यक्ति को लगता है कि उसकी रेलगाड़ी चल पड़ी है, क्योंकि वह B के डिब्बों को गुजरते हुए देखता है। 

गति के प्रकार 

जब दर्जी कपड़ा सिलाई करता है तब पैर सिलाई मशीन के पैडल को चलाते हैं,उसका पहिया गोल घूमता है,उसकी सुई ऊपर-नीचे चलती है और कपड़ा आगे की ओर चलता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि गतियाँ कई प्रकार की होती हैं। 

(a) रैखिक गति (Linear motion)

इसमें वस्तु सीधी या वक्र रेखा पर चलती हैं ;जैसे बंदूक से छोड़ी गई गोली,ढालू पर नीचे सरकता बालक इत्यादि। 

(b) वृत्तीय गति (Circular motion)

इसमें वस्तु वृत्त पर चलती है;जैसे सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति,पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की गति इत्यादि। 

(c) दोलनी गति (Oscillatory motion)

इसमें वस्तु एक निश्चित बिंदु के आगे-पीछे(ऊपर-नीचे) चलती है; जैसे झूले की गति,दीवार घड़ी के पेंडुलम की गति इत्यादि। 

(d) आवर्त गति (periodic motion)

इसमें वस्तु अपनी गति को समय के निश्चित अंतरालों (intervals) पर दुहराती है ;जैसे झूले की गति,सिलाई मशीन के सुई की गति इत्यादि। 

प्रकृति में गतियाँ प्रायः जटिल होती हैं और उनमें कई प्रकार की गतियाँ एक साथ मौजूद रहती हैं।

गति का वर्णन 

गति का अध्ययन का प्रारंभ गतिशील वस्तु की स्थिति(position) के वर्णन से होता है। उदहारण के लिए,यदि कोई ट्रेन पूर्व से पश्चिम की ओर सीधी पटरी पर चल रही हो और 'ट्रेन कहाँ है?'यह बताना हो तो हमें उसकी स्थिति किसी सुपरिचित स्थान (जैसे स्टेशन) के आपेक्षित (relative) बतानी होगी। ऐसे स्थान को निर्देश बिंदु (refrence point) या मूलबिंदु(origin) कहा जाता है। 

हम तब बताते हैं कि मूलबिंदु से ट्रेन कितनी दूरी पर और किसी दिशा में है,और तब स्थिति का वर्णन पूर्ण रूप से हो जाता है। उदहारण के लिए,हम कहते हैं कि स्टेशन से ट्रेन 5 किलोमीटर पूर्व है।यहाँ केवल 'स्टेशन से पाँच किलोमीटर'कहना पर्याप्त नहीं होगा,क्योंकि तब हम नहीं जान पाते कि इसका अर्थ 5 किलोमीटर पूर्व है या 5 किलोमीटर पश्चिम। 

सरल रेखा पर गतिशील कण की स्थिति 

किसी सरल रेखा पर किसी कण की स्थिति का वर्णन करने के लिए हमें 

  1. इस सरल रेखा पर कोई मूलबिंदु (origin) चुनना होगा। 
  2. मूलबिंदु से उसकी दूरी और दिशा बतानी होगी। 

सरल रेखा पर दिशा बताने के लिए म मूलबिंदु के एकओर धन और दूसरी ओर ऋण मानते हैं।तब हम रेखा पर किसी कण की स्थिति धनात्मक और ऋणात्मक परिमाण (magnitude) द्वारा बता सकते हैं। यह परिमाण,जिसे हम x द्वारा बता सकते हैं,मूलबिंदु से उस कण की दूरी [किसी सुविधाजनक मात्रक(unit) में] और  दिशा दोनों देता है।

परिभाषा-एक सरल रेखा (straight line) पर चलते हुए कण(particle) की किसी क्षण(instant) स्थिति को परिमाण x से बताया जाता है। मात्रक (unit) के साथ x का संख्यात्मक मान (numerical value) मूलबिंदु से कण की दूरी बताता है और x का चिन्ह (धन या ऋण) यह बताता है कि कण मूलबिंदु से देखने पर धनात्मक दिशा में है या ऋणात्मक दिशा में। 

उदहारण के लि ए,हम मान लेते हैं कि एक कण (parcticle) एक सरल रेखा पर गतिशील है। सरल रेखा पर O मूलबिंदु है। हम बाईं से दाहिनी दिशा (left to right direction) को धनात्मक(positive) मानते हैं। यदि कण मूलबिंदु पर हो,तो परिणाम x का मान शून्य होगा। यदि कण मूलबिंदु के बाईं ओर 2 मीटर (m) की दूरी पर हो ,तो x=-2 m. 

गति का वर्णन

दृष्टव्य -राशि  x को कण की स्थिति कहा जाता है।प्रायः हम बड़ी-बड़ी वस्तुओं,जैसे साइकिल,कार,बस,व्यक्ति इत्यादि के गतियों की चर्चा करते हैं।वैसे ये सभी वस्तुएँ कण नहीं हैं,परंतु जब इनके आकार(size) को नगण्य मानकर उनको कण मान सकते हैं। 

तय की गई दूरी और विस्थापन 

जब कोई कण किसी बिंदु A से बिंदु B तक (चित्र 2.2) जाती हैं,तो पथ की पूरी लंबाई कण द्वारा तय की गई दूरी(distance) होती हैं,जबकि सरल रेखा AB की लंबाई और उसकी दिशा(direction) दोनों मिलकर कण का विस्थापन(displacement) देते हैं। 

उदहारण के लिए,जब कोई ट्रेन राँची से पटना जाती है,तो रास्ते में वह कई बार मुड़ती है,अर्थात वह वक्र रेखा पर भी चलती है। यदि राँची स्टेशन से पटना स्टेशन तक पटरी की लंबाई 414 km है,तो ट्रेन द्वारा तय की गई दूरी 414 km होगी। परंतु,ट्रेन का विस्थापन जानने के लिए हमें राँची और पटना के बीच की सरल रेखीय दूरी (straight line distance) जाननी होगी। इसके साथ ही राँची से (राँची के आपेक्षित) पटना की दिशा भी ज्ञात होगी। ]

तय की गई दूरी और विस्थापन

कण द्वारा तय की गई दूरि(distance traversed) और उसका विस्थापन दो भिन्न-भिन्न राशियाँ हैं। किसी दिए गए समय अंतराल में कण द्वारा तय की गई दूरी का केवल परिणाम(magnitude) होता है,जबकि विस्थापन को परिमाण और दिशा(direction) दोनों होते हैं। 

ऊपर के चित्र a में कण बिंदु A से बिंदु B तक एक वक्र रेखा (curved line) पर चलता है। तय की गई दूरी वक्र रेखा  की लंबाई है जबकि कण के विस्थापन का परिमाण सरल रेखा AB की लंबाई के बराबर होता है। कण का विस्थापन को प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति तक की दूरी और प्रारंभिक स्थिति से अंतिम की दिशा (direction) से बताया जाता है।(ऊपर के चित्र a में)

यदि कोई कण सरल रेखा पर भी चले तो भी तय की गई दूरी विस्थापन के परिमाण से बड़ी हो सकती है। उदहारण के लिए,यदि कण A से B तक सरल रेखा पर चलकर वापस A पर आ जाता है तो विस्थापन शून्य होगा, परंतु तय की दूरी 2 (AB) होगी। परंतु ,यदि कण सरल रेखा पर बिना दिशा-परिवर्तन के चले तो विस्थापन का परिमाण और तय की गई दूरी,दोनों बराबर होंगे। (ऊपर के चित्र b में)

दृष्टव्य- गाड़ियों (जैसे कार ,बस इत्यादि) में एक यंत्र लगा होता है जो उनके द्वारा तय की दूरी प्रदर्शित करता है। उस यंत्र को ओडोमीटर(odometer) कहा जाता है। 

सरल रेखा पर विस्थापन 

यदि एक कण एक सरल रेखा में गतिशील हो,तो उसके विस्थापन s को उस कण की प्रारंभिक स्थिति x1  और अंतिम स्थिति x2  से प्राप्त किया जा सकता है,अर्थात 

s = x2  -x1   

अतः, विस्थापन से हमें दो बातों का पता चलता है -

  1. प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति की सरलरेखीय दूरी क्या है ?
  2. प्रारंभिक स्थिति से देखने पर अंतिम स्थिति किस ओर है,अर्थात किस दिशा में है ?

    उदहारण के लिए, नीचे के चित्र में प्रदर्शित स्थितियों को लेते हैं। 

  1.  यदि t समय पर कण A पर हो और बाद के समय t पर कण B पर हो, तो x1 = 1m और x2 =3 m ,अतः, कण का विस्थापन s1 = x2  -x1   =3 m -1 m =+2 m 
  2.  यदि t समय पर कण A पर हो और बाद के समय t पर कण B पर हो,तो x1 = 3 m और x2 =1 m, अतः, कण का विस्थापन s2 = x2  -x1   =1 m -3 m =-2 m 
  3. यदि t समय पर कण A पर हो और बाद के समय t पर कण B पर हो, तो x1 = 1m और x2 =1 m, अतः, कण का विस्थापन s3 = x2  -x1   =1 m -1 m =0 m 

 स्पष्ट है कि 

  1. यदि कण का विस्थापन धनात्मक है तो उसकी अंतिम स्थिति उसकी प्रारंभिक स्थिति के दाहिनी ओर होगी। 
  2. यदि कण का विस्थापन ऋणात्मक है तो उसकी अंतिम स्थिति उसकी प्रारंभिकस्थिति के बाईं ओर होगी। 
  3. यदि कण का विस्थापन शून्य है तो उसकी अंतिम स्थिति और प्रारंभिक स्थिति एक ही है। 

दृष्टव्य :- जब कोई कण किसी सरल रेखा पर चलता है तो उसके विस्थापन की दिशा को धन (plus) या ऋण (minus) चिन्ह से बताया जा सकता है। परंतु,जब कोई कण किसी वक्र रेखा (curved line) पर चलता है तो  विस्थापन की दिशा को धन या ऋण चिन्ह नहीं दिया जा सकता। ऐसा इसलिए है कि किसी प्रारंभिक स्थिति से अनंत दिशाएँ (directions) हो सकती हैं।  

अदिश और सदिश राशियाँ  

कुछ भौतिक राशियों को केवल परिमाण होता है,जैसे किसी कण द्वारा तय की गई दूरी। 

अदिश राशि :- जिस राशि को पूर्ण रुप से व्यक्त करने के लिए केवल परिमाण की आवश्यकता होती है उस राशि को अदिश राशि (scalar quantity) कहते हैं। 

अदिश राशि के उदहारण - तय की गई दूरी के अतिरिक्त,अदिश राशियों के कुछ भौतिक उदहारण द्रव्यमान,समय ,आयतन ,घनत्व,ऊर्जा ,कार्य ,तप इत्यादि हैं। 

कुछ भौतिक राशियों को परिमाण के अतिरिक्त दिशा भी होती है ;जैसे विस्थापन 

सदिश राशि:- जिस राशि को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए परिणाम और दिशा दोनों की आवश्यकता होती है उस राशि को सदिश राशि (vector quantity)कहते हैं। 

⇒ सदिश राशि संकेत (symbol) किसी अक्षर के ऊपर तीर,जैसे 

 सदिश राशि

होता है और तब उसके परिणाम का संकेत सिर्फ वह अक्षर,जैसे V होता है। 

उदहारण के लिए,किसी कण का किसी समय अंतराल में विस्थापन पथ से स्वतंत्र होता है और वह केवल कण की प्रारंभिक(initial) और अंतिम(final) स्थितियों पर निर्भर करता है। अतः,विस्थापन एक सदिश राशि है,इसका परिणाम प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति तक सरलरेखीय दूरी है और जिसकी दिशा प्रारंभिक स्थिति की दिशा में है। 

सदिश के उदहारण -विस्थापन के अतिरिक्त अनेक भौतिक राशियाँ हैं,जैसे वेग,त्वरण,बल इत्यादि(जिनकी जानकारी हम इसके अतिरिक्त अगले अध्यायों में भी प्राप्त करेंगे)। 

औसत चाल 

 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ads Section