जनन (Reproduction)
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जनन (Reproduction)

जनन किसे कहते हैं ?

जनन (Reproduction):- जीव जिस प्रक्रम द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते है,उसे जनन (reproduction) कहते हैं। 

  • इस धरती पर जीवों का जब से विकास हुआ है तब से लगातार जनन की प्रक्रिया द्वारा ही वे अपनी सतता(continuity) बनाए हुए हैं।
  •  जनन के फलस्वरूप संतानों (offspring) की उत्पत्ति होती है जो अपनी वृद्धि कर पुनः जनन करने योग्य हो जाते है एवं नई संतानों की उत्पत्ति करते हैं।
  •  विभिन्न जैव प्रक्रमों की तरह जीवों को जीवित रहने के लिए इसकी  आवश्यकता नहीं होती,लेकिन संतती के सृजन के लिए यह आवश्यक है।  

जीवों द्वारा समान संतति का सृजन 

जनन-क्रिया द्वारा जीव समान संतति (similar offspring) का सृजन करते हैं,लेकिन दिखने में एकसमान होते हुए भी ये किसी-न-किसी रूप में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। जैसा कि आप जानते हैं जीवों की कोशिका में केंद्रक पाया जाता है। केंद्रक के भीतर DNA एवं प्रोटीन से निर्मित गुणसूत्र रहते हैं। यही गुणसूत्र आनुवंशिक गुणों का वाहक होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। जीवों के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार के प्रोटीन के निर्माण का संदेश भी DNA में ही होता है। किसी कारणवश अगर DNA से मिलनेवाले संदेश में भिन्नता हो जाए तो जीवों की शारारिक रचना में भी विविधता पैदा हो जाएगी। 

जनन या कोशिका विभाजन के पहले चरण में DNA की प्रतिकृति बनना (replication) आवश्यक  है। यह इसीलिए जरूरी है की एक विभाजन के बाद बननेवाली दोनों  कोशिकाओं को DNA की एक प्रति मिल सके। विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के बाद DNA की प्रतिकृति तैयार होती है। DNA की प्रतिलिपि बनने के साथ-साथ अन्य आवश्यक कोशिकीय संरचनाओं का भी सृजन होता है जिससे विभिन्न जैव प्रक्रमों का संचालन तथा अनुरक्षण संतति में हो सके। प्रतिकृति के बाद दोनों DNA के अनु में कुछ भिन्नता पाई जाती है। इसका मुख्य कारण DNA प्रतिकृति की प्रक्रिया में होनेवाली कुछ विभिन्नता है। इस प्रकार,विभाजन के फलस्वरूप कोशिका से जब दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं तो दोनों समान होते हुए भी किसी-न-किसी रूप में एक-दूसरे से अलग होती हैं। इन्हीं विभिन्नताओं के कई पीढ़ियों तक एकत्र होने के चलते जीवों की नई जाति का विकास होता है। 

जनन कितने प्रकार के होते हैं ? 

जनन के प्रकार -

जीवों में जनन मुखयतः दो तरीके से संपन्न होता है -अलैंगिक जनन तथा लैंगिक जनन। 

अलैंगिक जनन (asexual reproduction)

 अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषताएँ क्या है ?

अलैंगिक जनन की विशेषताएँ इस प्रकार हैं -

  1.  इसमें जीवों का सिर्फ एक व्यष्टि (individual) भाग लेता है। 
  2. इसमें युग्मक (gametes),अर्थात शुक्राणु और अंडाणु कोई भाग नहीं लेते। 
  3. इस प्रकार के जनन में या तो समसूत्री कोशिका-विभाजन(mitotis) या असमसूत्री कोशिका-विभाजन(amitosis) होता है। 
  4. अलैंगिक जनन के बाद जो संतानें पैदा होती हैं वे आनुवंशिक गुणों में ठीक जनकों के समान होती हैं। 
  5. इस प्रकार के जनन से ज्यादा संख्या में एवं जल्दी से जीव अपनी संतानों की उत्पत्ति कर सकते हैं। 
  6. निम्न कोटि के पौधे एवं जंतुओं में जिनके शरीर जटिल नहीं होते हैं,यह जनन मुख्य रूप से संतानों की उत्पत्ति करता है। 
  7. इसमें निषेचन की जरूरत नहीं पड़ती हैं,इसमें निषेचन की जरूरत नहीं पड़ती है,क्योंकि युग्मकों का संगलन(fusion) नहीं होता है। 

अलैंगिक जनन की दो मुख्य विधियों के नाम लिखें।  

जीवों में अलैंगिक जनन निम्नांकित कई विधियों में संपन्न होता है। 

(1) विखंडन(Fission)

विखंडन के द्वारा ही मुख्य रूप से एककोशकीय जीव (unicellular organism) जनन करते हैं ; जैसे जीवाणु



 

 


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