इसमें पहुंचने के अंग प्रकाश की ओर गति करते हैं। इस प्रकार की गति तने के सिर्फ भाग्य पतियों में स्पष्ट दिखती है। जयप्रकाश से दूर मुड़कर अनुक्रिया करती है।
गुरुत्वानुवर्तन
इसमें पौधे अंग गुरुत्वाकर्षण की दिशा में गति करते हैं । यह पौधे की जड़ों में दिखता है। पौधे के तने गुरुत्वाकर्षण के विपरीत वृद्धि करते हैं।
रासायनिक अनुवर्तन
यह गति रसायनिक उद्दीपनो के द्वारा होता है। परागण के समय परागकण से निकलने वाली पराग नलिका की भी जान में होने वाली गति इस प्रकार का अनुवर्तन दर्शाता है।
जलानुवर्तन
पौधों के अंग काजल की ओर होने वाली गति जलानुवर्तन कहलाती है।