उत्तक संवर्धन कैसे संपन्न होता है? कायिक प्रवर्धन के लाभों का उल्लेख करें।
इस प्रकार के कृत्रिम कायिक प्रवर्धन में स्वस्थ वांछित पौधे से उत्तक का एक छोटा टुकड़ा काट कर ले लिया जाता है। इसे किसी बर्तन में रखें पोषक पदार्थ के घोल में रखा जाता है उपयुक्त तापमान आर्द्रता एवं अन्य अनुकूल स्थितियों में उत्तक का उत्तक का टुकरा असंगठित पिंड बन जाता है जिसे कैलश कहते हैं।
इस कैलश का इस्तेमाल भावी विभाजन हेतु किया जाता है। कैलश के एक छोटे भाग को पृथक कर अन्य हार्मोनयुक्त माध्यम में रखा जाता है जो यहां विकसित एवं विभेदित होकर पादपक बनाते हैं। इन पादपको को जमीन में या गमले में प्रतिरोपित कर दिया जाता है जहाँ यह विकसित होकर स्वतंत्र वयस्क पौधे बनाते हैं जो अपने जनक पौधे के ही समान होते हैं। इस तरह उत्तक संवर्धन कायिक जनन का एक आधुनिक तरीका है। इस विधि से अनेक पौध जैसे गुलदाउदी शतावरी आर्किड आदि में नए पौधे पैदा किए जाते हैं। इस विधि से तैयार किए गए पौधों को एकपूर्वजक या कल लोन कहते हैं। इनमें वांछित गुणों का ह्रास नहीं होता है।