अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषताएं क्या है?

Er Chandra Bhushan
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 अलैंगिक जनन की विशेषताएं इस प्रकार हैं

  1.  इसमें जीवो का सिर्फ एक व्यष्टि भाग लेता है।
  2.  इसमें युग्मक अर्थात शुक्राणु और अंडाणु कोई भाग नहीं लेते।
  3.  इस प्रकार के जनन में या तो समसूत्री कोशिका विभाजन या असमसूत्री कोशिका विभाजन होता है।
  4. अलैंगिक जनन के बाद जो संताने पैदा होती है वे अनुवांशिक गुणों में ठीक जनको के समान होती है।
  5. इस प्रकार के जनन से ज्यादा संख्या में एवं जल्दी से जीव अपनी संतानों की उत्पत्ति कर सकते हैं।
  6. निम्न कोटि के पौधे एवं जंतुओं में जिनके शरीर जटिल नहीं होते हैं यह जनन मुख्य रूप से संतानों की उत्पति करता है।
  7. इसमें निषेचन की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि युगमकों का संगलन् नहीं होता है।
द्विखंडन एवं बहूखंडन में क्या विभेद है?
उत्तर:-
 द्विखंडन
वैसा विभाजन जिसके द्वारा एक व्यष्टि से खंडित होकर दो का निर्माण होता हो उसे द्विखंडन या द्विकविभाजन कहते हैं।
बहूखंडन
वैसे विभाजन जिसके द्वारा एक व्यष्टि खंडित होकर अनेक व्यष्टि की उत्पत्ति करता हो उसे बहूखंडन या बहुविभाजन कहते हैं।
कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें। 
उत्तर:-जन्म की वह प्रक्रिया जिसमें पादप शरीर का कोई कायिक या वर्दी भाग जैसे -जड़, तना ,पत्ती, आदि उससे विलग और परिवरद्धित होकर नए पौधे का निर्माण करता है उसे कायिक  परवर्धन करते हैं।

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