चाणक्य ने चंद्रगुप्त को बताया वास्तविक उपलब्धी क्या है ?
व्यक्ति को जब आगे बढ़ना होता है तो सबसे पहले वह अपना लक्ष तय करता है जब वह व्यक्ति लक्ष की ओर बढ़ता है राह पर निकल परता है तो मार्ग उसे सिखाता है सबरता है बनाता है और वही अनुभव उसकी पूंजी होते है मार्ग पर चलकर लक्ष पर पहुँचा जाता है और मिलने वाली वस्तु मात्र सांकेतिक उपलब्धि होती है चंद्रगुप्त वास्तविक उपलब्धि होती है मार्ग मिली सिख राह मिली कठनाई को सुलझाते सुलझाते जो वो हो जाता है वो यात्रा से पहले वाला व्यक्ति से बरा व्यक्ति होता है