हल :- यह सच्चाई है कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था काले पक्षों को दर्शाने वाले उदाहरणों की कमी नहीं है। आजादी के पश्चात् विगत 60 वर्षों के इतिहास में भ्रष्टाचार में डूबे राजनीतिज्ञ और लोकतांत्रिक संविधान के मूल उद्देश्यों को विनष्ट करने वालों किस्मों नहीं है। इन तमाम कमजोरियों के बावजूद हमारा लोकतंत्र पश्चिम के लोकतंत्र से नायाब है जो निरंतर एवं परिवर्द्धन की ओर उन्मुख है।
भारत में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रुप में देखते हैं ?
August 13, 2023
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