केंद्रक का क्या कार्य है ? इनकी संरचना का उल्लेख करें।
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केंद्रक का क्या कार्य है ? इनकी संरचना का उल्लेख करें।

 उत्तर- केंद्रक कोशिका द्रव्य के बीच एक बड़ी, गोल, गाढ़ी संरचना पायी जाती है। सभी जीवित कोशिकाओं में केंद्रक मौजूद रहता है। इसके चारों ओर दोहरे परत की एक झिल्ली रहती है जिसे केंद्रककला या केंद्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) कहते हैं। इसमें अनेक केंद्रकछिद्र रहते हैं। इन छिद्रों के द्वारा केंद्रक द्रव्य एवं कोशिकाद्रव्य के बीच पदार्थों का आदान-प्रदान होता है। प्राय: एक केंद्रक हर जीवित कोशिका में पाया जाता है। लेकिन कुछ कोशिकाओं में एक से ज्यादा केंद्रक पाये जाते हैं।                                                                            केंद्रक के अन्दर गाढ़ा, अर्धतरल द्रव्य भरा रहता है जिसे केंद्रकद्रव्य या न्यूक्लियोप्लाज्म (Nucleoplasm) कहते हैं। केंद्रकद्रव्य में महीन धागों की जाल जैसी रचना पायी जाती है, जिसे क्रोमैटिन जालिका (Chromatin Network) कहते हैं। ये डिऑक्सीराइबोस न्यूक्लिक अम्ल (डी० एक ए० या DNA) एवं प्रोटीन से बने होते हैं। DNA आनुवंशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता है। कोशिका विभाजन के समय क्रोमैटिन जालिका के धागे अलग होकर कई डोटी और मोटी छड़ जैसी रचनाओं में बदल जाते हैं, जिन्हें गुणसूत्र या क्रोमोसोम (Chromo- somes) कहते हैं। DNA अणु में कोशिका के निर्माण एवं संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती हैं। DNA के क्रियात्मक खण्ड को जीन (Gene) कहते हैं। ये जीन पैतृक गुणों के वाहक होते हैं, अत: DNA को आनुवंशिक पदार्थ तथा जीन को आनुर्वाशक इकाई (Hereditary Unit) कहते हैं।

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