उत्तर एक ही भूमि पर बदल-बदलकर अनुक्रम में फसल उगाने की प्रणाली को फसल-चक्रण कहा जाता है। अनाज की फसल से मिट्टी के तत्वों की कमी हो जाती है। इसके लिये अगली फसल दाल की उगानी चाहिये। क्योंकि दाल की जड़ों में ग्रंथियाँ या गाँठ पाई जाती हैं। इन गाँठों में राइजोबियम नामक जीवाणु पाये जाते हैं, जो वायुमण्डल की नाइट्रोजन को स्थिर करते हैं, अर्थात् नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के यौगिकों में परिवर्तित करते हैं। इस प्रकार मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है, जो कि पौधों की वृद्धि के लिये एक आवश्यक वृहद् पोषक है।