उत्तर- अधिक अण्डे और मांस के उत्पादन के लिये विदेशी उच्चनस्लों की मुर्गियों का पालन करना चाहिये। साथ ही संकर नस्ल की ज्यादा उत्पाद देनेवाली मुर्गियों का पालन किया जाना चाहिये, क्योंकि इन मुर्गियाँ का खुराक भी कम है। साथ ही मांस और अण्डे भी ज्यादा मात्रा में देती हैं। मुर्गीपालन के लिये उनके आहार में सुधार किया जाना चाहिये। उनको सन्तुलित खुराक में भी अन्य पशुओं की भाँति उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, विटामिन तथा जल होना चाहिये। उन्हें विभिन्न प्रकार के महीन दले हुये अनाज, जैसे चावल की भूसी, गेहूँ, चोकर, मक्का, बाजरा, मूँगफली की खली आदि की खुराक देनी चाहिये। साथ ही कैल्सियम और फॉस्फोरस की उचित मात्रा भोजन में मिलाकर देनी चाहिए। मुर्गीपालन के लिये आवास भी बहुत जरूरी है। वे वर्षा, कड़ी धूप, अत्यधिक ठण्ड तथा परभक्षियों से सुरक्षित रह सकें। आवास साफ-सुथरे, सूखे तथा हवादार होने चाहिये। यह ध्यान रखना चाहिये कि उस आवास में मुर्गियों की संख्या ज्यादा न हो। मुर्गीपालन के लिये मुर्गियों को रोगों से बचाव, तन्दुरूस्ती, अच्छी उत्पाद तथा प्रजनन के लिये उनके खुराक में विटामिन-A दिया जाना चाहिये। इसके लिये मुर्गियों के भोजन में महीन कटी शाक-सब्जी मिला देना चाहिये। अधिक अण्डे तथा मांस देनेवाली मुर्गियों को संक्रमण से सुरक्षा के लिये उन्हें टीका लगाना चाहिये, ताकि उनमें रोग-निरोधक क्षमता रहे।