उत्तर-एक ही भूखण्ड पर दो या ज्यादा फसल एक साथ मिलाकर उगाने की प्रथा मिश्रित फसल उत्पादन कहलाता है। इसमें एक ही भूखण्ड पर दो या दो से अधिक फसलों को साथ-साथ उगाया जाता है, जैसे गेहूँ और सरसों, मूँगफली और सूर्यमुखी, गेहूँ और चना, मकई और उर्दबीन, सोयाबीन और अरहर, जौ और चिक मटर आदि। इस प्रथा द्वारा फसल को पूर्ण विफलता से बचाया जाता है। मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में इस प्रकार की खेती की जाती है जहाँ वर्षा की कमी रहती है। इसके अंतर्गत सामान्यतः धान्य फसल (cereal crop) के साथ फलीदार फसल (leguminous crop) के सिद्धान्त का चयन किया जाता है।