उत्तर-जब कोशिका को अल्पपरासरी विलयन (ऐसा विलयन जिनकी सांद्रता कोशिका के विलयन की अपेक्षा कम हो) में रखा जाता है तो बाहरी विलयन से पानी कोशिका के अन्दर प्रवेश करता है। इस क्रिया को अन्त: परासरण (endosmosis) कहते हैं। जल के अणु कोशिका झिल्ली के दोनों ओर आते-जाते हैं, लेकिन कोशिका के अन्दर जानेवाले जल की मात्रा कोशिका के बाहर आनेवाले जल की मात्रा से अधिक होगी। इसका परिणाम यह होता है जल के कोशिका के भीतर प्रवेश करने से कोशिका फूल जायेगी। जब कोशिका को समपरासरी विलयन (ऐसा विलयन जिनकी सान्द्रता कोशिकारस की सांद्रता के बराबर हो) में रखा जाता है तो कोशिका के आकार एवं वजन में कोई परिवर्तन नहीं होता है। जल के अणु कोशिकाझिल्ली के आर-पार तो जाते-आते हैं, लेकिन जल की जितनी मात्रा भीतर जाती है उतनी ही बाहर आ जाती है, इस प्रकार शुद्ध रूप से जल की कोई गति नहीं हुयी। जब कोशिका को अतिपरासरी विलयन (ऐसा विलयन जिनकी सान्द्रता कोशिका के विलयन की तुलना में अधिक होती है) में रखा जाता है तब कोशिका के अन्दर से जल निकलकर बाहरी विलयन में प्रवेश करता है। इस प्रक्रिया को बहि:परासरण (exosmosis) कहते हैं। इस क्रिया के दौरान भी जल अणु कोशिकाझिल्ली के दोनों ओर आवागमन करने के लिये स्वतंत्र होते हैं, लेकिन कोशिका से बाहरी आनेवाले जल की मात्रा कोशिका के भीतर जानेवाले जल की मात्रा से अधिक होती है। फलस्वरूप कोशिका सिकुड़ जाएगी।