उत्तर- क्रोमोसोम एक सामान्य कोशिका के केंद्रक में महीन, लंबे तथा अत्यधिक कुंडलित धागे के रूप में दिखते हैं। कोशिका विभाजन के समय ये स्पष्ट दिखायी देते हैं। सामान्यतः क्रोमोसोम बेलनाकार होते हैं (i) पेलिकल (pellicle), (ii) मैट्रिक्स (ma- trix) तथा क्रोमैटिड्स (chromatids) ।
क्रोमोसोम का सबसे बाहरी आवरण पेलिकल कहलाता है। पेलिकल के द्वारा घिरा हुआ भाग मैट्रिक्स कहलाता है। मैट्रिक्स में, क्रोमोसोम की पूरी लंबाई में, दो समानांतर कुंडलित धागे के समान रचना होती है, जो अर्द्ध गुणसूत्र या क्रोमैटिड्स : (Chromatids) कहलाते हैं। प्रत्येक क्रोमैटिड में दो या दो से अधिक अत्यंत महीन कुंडलित (coiled) धागे के समान रचनायें होती हैं, जिन्हें क्रोमोनिमैटा (Chromonemata) कहते हैं। प्रत्येक क्रोमैटिड के क्रोमोनिमैटा इतनी अधिक घनिष्ठता से एक-दूसरे से संबद्ध होते हैं कि वे एक ही दिखायी पड़ते हैं। क्रोमैटिड DNA तथा हिस्टोन (Histone) प्रोटीन का बना होता है। इसी DNA अणु के खण्ड जीन हैं जो क्रोमैटिड की पूरी लंबाई में दाने सदृश दिखते हैं। क्रोमोसोम के दोनों क्रोमैटिड एक स्थान पर सेंट्रोमियर (Centromere) के द्वारा एक-दूसरे से संयोजित रहते हैं।
सभी जीवों की कोशिकाओं के केंद्रक में पाये जानेवाले क्रोमोसोम की संख्या निश्चित होती है, जैसे मानव शरीर की कोशिकाओं में 46 क्रोमोसोम, ड्रोसोफिला (Drosophila) की कोशिकाओं में 8 क्रोमोसोम, मकई के पौधे की कोशिकाओं में 20 क्रोमोसोम, टमाटर के पौधे की कोशिकाओं में 24 क्रोमोसोम, आलू के पौधे की कोशिकाओं में 48 क्रोमोसोम पाये जाते हैं। ये क्रोमोसोम सदा जोड़े में (paired) रहते हैं। एक जोड़े के दोनों क्रोमोसोम हमेशा एक-दूसरे के समान होते हैं, इसलिये ये दोनों समजात क्रोमोसोम (Homologous chromosome) कहल हैं। ऐसी कोशिका के क्रोमोसोम समूह जिसमें दोनों समघात क्रोमोसोम होते हैं, द्विगुणित (diploiu, कहलाते हैं। परन्तु युग्मकों, जैसे शुक्राणु तथा अंडाणु में क्रोमोसोम की संख्या अधिक कोशिका के क्रोमोसोम की संख्या की आधी होती है। ऐसे कोशिका के क्रोमोसोम समूह अगुणित (Haploid) कहलाते हैं।