उत्तर👉 पदार्थ के कान स्थिर नहीं रहते बल्कि हमेशा गतिशील रहते हैं इसमें निम्नलिखित कार्यकलाप द्वारा समझा जा सकता है अगरबत्ती की एक सलाई कमरे के एक कोने में रख दे कुछ दूरी से इस अगरबत्ती की गंध को हम महसूस नहीं कर सकते हैं हां उसके निकट जाने पर गढ़ अवश्य महसूस होगी अब एक माचिस की सहायता से अगरबत्ती को जलाएं इसकी गंध को आप कुछ दूरी से महसूस कर सकते हैं इसका कारण यह है की अगरबत्ती में उपस्थित इत्र के कान वायु के कानों के साथ मिश्रित होकर पूरे कमरे में फैल जाते हैं यदि इत्र के कान गतिशील नहीं होते तो अगरबत्ती की गंध दूर बैठे आप तक नहीं पहुंच पाती पदार्थ को गर्म करने पर उसके कानों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है जिस कर्म के बैग बढ़ जाते हैं अतः ताप बढ़ने पर कानों के वेग में वृद्धि हो जाती है