वायु द्वारा ताप का नियंत्रण हरितगृह प्रभाव वैशविक ऊष्मीकरण
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वायु द्वारा ताप का नियंत्रण हरितगृह प्रभाव वैशविक ऊष्मीकरण

 उत्तर👉 वायु की उपस्थिति के कारण पृथ्वी का ताप अनुकूल बना रहता है पृथ्वी के ताप का नियंत्रण हरितगृह प्रभाव के कारण होता है। हरित गृह कांच की बनी एक इमारत होती है जिसका निर्माण पौधों को ठंडक से बचने के लिए किया जाता है सूर्य की किरणें कांच से होकर हरित गिरी की सतह को गर्म करती है। कांच हरित गिरी के भीतर की उसका को रोक लेता है जिससे हरित गिरी के अंदर का तापमान बाहर के तापमान से अधिक हो जाता है ठीक इसी प्रकार वायुमंडल में भी इस प्रकार की प्रक्रिया होती है जिसे हरित गिरी प्रभाव कहा जाता है।

वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी से उसका को पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर जाने से रुकती है जिससे रात में पृथ्वी का ताप बहुत कम नहीं हो पता। दरअसल सूर्य से आने वाली विकरणों को कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित नहीं करता किंतु यह विकिरण जब पृथ्वी को गर्म कर पुनः विकर्ण होता है तो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड इसे प्रवर्तित कार्पनाह पृथ्वी की ओर प्रेषित करता है जिससे क्षोभमंडल में अतिरिक्त ऊर्जा संचित होती है और वायुमंडल गर्म रहता है सूर्य ऊर्जा के शोषण और उत्सर्जन की क्रिया द्वारा वायुमंडल को तप्त रखने की विधि को हरित गिरी प्रभाव कहते हैं बड़े पैमाने पर औद्योगिकी किरण जीवाश्म इंधनों के दहन तथा पेड़ों के काटने से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है कार्बन डाइऑक्साइड वायु से भरी होता है और वायुमंडल में विद्यमान रहता है और इसकी वृद्धि से वायुमंडल में ऊष्मा के वृद्धि होती है जिससे वैश्विक उसमें कारण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है अतः वैश्विक उष्मीकरण की स्थिति से बचने के लिए वृक्षारोपण करना चाहिए जिससे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा हमारे वायु मंडल में स्थिर रह सके।

वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड निम्नांकित दो वीडियो से स्थिर होता है:⁠-

1. हरे पेड़ पौधे सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोस में बदल देते हैं तथा

2. बहुत से समुद्री जंतु समुद्री जल में घुल कार्बोनेट से अपने कवच बनाते हैं।

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