संयोजी ऊतक क्या है ? किसी एक प्रकार के संयोजी ऊतक का कार्यसहित वर्णन करें।
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संयोजी ऊतक क्या है ? किसी एक प्रकार के संयोजी ऊतक का कार्यसहित वर्णन करें।


उत्तर- वह ऊतक जो एक अंग को दूसरे अंग से या एक ऊतक को दूसरे ऊतक से जोड़ता है, उसे संयोजी ऊतक कहते हैं। संयोजी ऊतक की कोशिकायें एक गाढ़े तरल पदार्थ में डूबी होती हैं, उसे मैट्रिक्स कहते हैं। मैट्रिक्स उपास्थि की तरह ठोस या फिर रक्त की तरह पतला भी हो सकता है। इस ऊतक में कोशिकाओं की संख्या कम होती है तथा अन्तर-कोशिकीय पदार्थ अधिक होता है। संयोजी ऊतक आंतरिक अंगों के रिक्त स्थानों में भरी रहती है। इसके अतिरिक्त ये रक्त नलिकाओं एवं तंत्रिका के चारों ओर तथा अस्थिमज्जा (Bone Marrow) में पायी जाती है। संयोजी ऊतक तीन प्रकार के होते हैं-

(i) वास्तविक संयोजी ऊतक

(ii) कंकाल ऊतक

(iii) तरल ऊतक या संवहन ऊतक।

वास्तविक संयोजी ऊतक का कार्यसहित वर्णन इस प्रकार है- 

 वास्तविक संयोजी ऊत्तक:– इसके अन्तर्गत निम्नलिखित ऊतक है-

ये बहुतायत में मिलनेवाले ऊतक हैं। इस ऊतक के आधारद्रव्य या मैट्रिक्स में कई प्रकार की कोशिकाओं तथा दो प्रकार के तन्तु (श्वेत एवं पीला) पाये जाते हैं। कोशिकायें निम्नलिखित प्रकार की होती हैं:–


(a) फाइब्रोब्लास्ट- फाइब्रोब्लास्ट चपटी, शाखीय होती हैं तथा ये तंतु बनाती हैं। 

(b) हिस्टोसाइट्स -  हिस्टोसाइट्स चपटी, अनियमित आकार की केंद्रकयुक्त होती हैं। ये जीवाणुओं का भक्षण करती हैं।

(c) प्लाज्मा कोशिकायें- प्लाज्मा कोशिकायें गोलाकार या अण्डाकार होती हैं। ये एंटीबॉडी का निर्माण करती हैं।


(d) मास्ट कोशिकायें मास्ट कोशिकायें केंद्रकयुक्त गोलाकार या अण्डाकार होती हैं। ये रुधिर वाहिनियों को फैलाने के लिये हिस्टामिन (प्रोटीन), रुधिर के एंटीकोएगुलेट के लिए हिपैरिन (कार्बोहाइड्रेट) तथा रुधिर वाहिनियों को सिकुड़ने के लिये सीरोटोनिन नामक प्रोटीन स्रावित करती है। 

(e) इस ऊतक में विभिन्न प्रकार के श्वेत कण, जैसे लिम्फोसाइट, इओसिनोफिल, न्यूट्रोफिल भी पाये जाते हैं।


इन कोशिकाओं के अतिरिक्त मैट्रिक्स में दो प्रकार के तन्तु पाये जाते हैं- ) 

( i )श्वेत तन्तु- ये अशाखीय तथा अलचीले होते हैं। ये कॉलेजन नामक रसायन से बने होते हैं।


(ii) पीला तन्तु- ये शाखीय या अशाखीय तथा लचीले होते हैं। ये एलास्टिन नामक पदार्थ से बनते हैं।


एरियोलर ऊतक के कार्य


(i) यह त्वचा एवं मांसपेशियों अथवा दो मांसपेशियों को जोड़ने का कार्य करता है। 

(ii) यह विभिन्न आन्तरिक रचनाओं को ढीले रूप से बाँधकर उन्हें अपने स्थान पर रखने में मदद करता है। 

(iii) लिम्फोसाइट का संबंध एंटीबॉडी-संश्लेषण से है।

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