गांधी-इरविन पैक्ट :
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया । सरकार को गांधी के साथ समझौता वार्ता करनी पड़ी। जिसे 'गांधी-इरविन पैक्ट' के नाम से जाना जाता है । इसे दिल्ली समझौता के नाम से भी जाना जाता है, जो 5 मार्च 1931 को गांधीजी एवं लार्ड इरविन के बीच सम्पन्न हुई । इसके तहत गांधीजी ने आंदोलन को स्थगित कर दिया तथा वे द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने हेतु सहमत हो गए। इरविन ने भी कुछ मांगों को स्वीकार किया। गांधी जी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया, परन्तु वहाँ किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी । अतः वे निराश वापस लौट गए। दूसरी ओर ब्रिटिश सरकार ने दमन का सिलसिला तेज कर दिया था। तब गांधीजी ने दुबारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ किया। परन्तु इसमें पहले जैसा धार एवं उत्साह नहीं था, जिससे 1934 ई. में आंदोलन पूरी तरह से वापस ले लिया गया।