आनुवंशिक विभिन्नता के स्रोतों का वर्णन करें।

Gyanendra Singh
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 Aanuwanshik vibhinnta ke sroton ka varnan karen

आनुवंशिक विभिन्नता के स्रोतों का वर्णन करें।

उत्तर- जीवों में आनुवंशिक विभिन्नता उत्परिवर्तन के कारण होता है तथा नई जाति के विकास में इसका योगदान हो सकता है। क्रोमोसोम पर स्थित जीन की संरचना तथा स्थिति में परिवर्तन ही उत्परिवर्तन का कारण है। आनुवंशिक विभिन्नता का दूसरा कारण आनुवंशिक पुनर्योग भी है। आनुवंशिक पुनर्योग के कारण संतानों के क्रोमोसोम में जीन के गुण (संरचना तथा क्रोमोसोम पर उनकी स्थिति) अपने जनकों के जीव से भिन्न हो सकते हैं। कभी-कभी ऐसे नए गुण जीवों को वातावरण में अनुकूलित होने में सहायक नहीं भी होते हैं। ऐसी स्थिति में आपसी स्पर्द्धा, रोग इत्यादि कारणों से वैसे जीव विकास की दौड़ में विलुप्त हो जाते हैं। बचे हुए जीव ऐसे लाभदायक गुणों को अपने संतानों में संचरित करते हैं। इस तरह प्रकृति नए गुणों वाले कुछ जीव का चयन कर लेती है तथा कुछ को निष्कासित कर देती है। प्राकृतिक चयन द्वारा नए गुणों वाले जीवों का विकास इसी प्रकार से होता है।

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