बिहार बोर्ड कक्षा 10 मैथिली के प्रश्नों के उत्तर
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बिहार बोर्ड कक्षा 10 मैथिली के प्रश्नों के उत्तर

अपन संतानक लेल चन्द्रमुखी कोन कोन कष्ट उठबैत रहलीह ?

उत्तर- चन्द्रमुखी अपन संतानक लेल अनेक प्रकारक कष्ट उठौलनि ।चन्द्रमुखी मात्र एकटा पुत्र छलनि फूल । फूल बहुत होनहार पुत्र छलथिन । बेटाक लेल ओ भरि-भरि राति चरखा काटथि, गाम घरमे कतहु काज कऽ अपन शरीर पर कष्ट उठाकऽ फूलक लेल पाई बचाबथि आ पढ़बाक खर्चा देथि । कम सँ कम बीस रुपया त चाही। हुनका लेल माछ भातक जोगार करथि । चन्द्रमुखी बेटाक लेल सभ दिन उपवास रखथि जे संतान सभ तरहे ठीक रहैनि । आ आगू जा बेटा ओकील बनैनि से प्रयास करैथि ।

 'कर्मवीर' कविताक भावार्थ लिखू ?

उत्तर- दीनानाथ पाठक 'बन्धु', 'कर्मवीर' शीर्षक कविताक कवि छथि । ई कविता चाणक्य महाकाव्यक प्रथम सर्गसँ संगृहीत अछि ।

प्रस्तुत कवितामे चाणक्यक विशेषता झलकैत अछि । मुदा एहि ठाम कोनो एहन व्यक्ति जे काज करबामे विश्वास रखैत छथि, सक्रिय आ संघर्षशील अछि तकर लक्षण आ महत्त्वक वर्णन कवि कयलनि अछि ।

कवि कहैत छथि जे कर्मवीर सँ कोनो बाधा विध्न रास्ता सँ हटल रहैत अछि । विपत्ति मे धैर्यवान रहब, आ युद्ध मे सभ शत्रु के संहारि करैत अछि । जेना स्वर्ण आगि मे तपला सँ आर लाल भऽ जाइत अछि तहिना कर्मवीर बाधाक आगि सँ दीप्ति भऽ आओर तेज भऽ जाइत अछि । आ संघर्ष कऽ स्वराष्ट्रक, समाजक सेवा करैत अछि ।

कवि नेता सभ पर आक्षेप करैत छथि जे जन सेवा केनिहार अपने आप उठैत अछि ओ लोक ओकरा नेता बुझैत छैक। जे केहनो समय एला पर लोक बीच रहि सुधारस जग मे बटैत अछि ओ मृत्युलोक सँ देवलोक धरि नेता कहबैत अछि । कवि कहैत छथि-

विष ज्वाला परिपूर्ण नागफन चढ़ि जे नाचि सकैछ ।

 सैह समाजक, धर्मक, राष्ट्रक जन-नेता कहबैछ ।।

जे व्यक्ति कालकूट रूपी विष पीबि संसारमे अमृतक वितरण कय सकैत अछि वास्तवमे वएह नेता रूपी शिव कहा सकैत अछि । जे विष ज्वालामे कूदि सकय, नागक फन पर नाचि सकय वएह समाज, धर्मक आ राष्ट्रक नेता भए सकैत अछि ।

तैं कवि के कर्मवीर पर पूरा भरोसा छनि जे कोनो तरहक विपत्ति अएलाक बादो ओ पर्वत जकाँ अडिग रहैत छथि ।

वर्षा भेलाक उपरान्त प्रकृतिक की रूप होयत ?

उत्तर-वर्षा भेलाक बाद प्रकृतिमे बादल आबि जाइत छैक। पशु-पक्षी सभ मस्त भऽ जाइत अछि । गाछ वृक्ष सभ नव पल्लव सँ सजि जाइत अछि । सभ नव सुन्दर वस्त्र पहिरि धरती पर नाचय लगैत अछि ।

धान रोपायत, बाध बोन सभ हरियर भऽ जायत सभ नाचत गाओत आ खुशी मनाओत । सभहक मन प्रसन्न भऽ जायत सभ एक दोसराक खुशी दैत सभ कल्पनाक स्वर्ग मे घुमि कऽ आशाक झुला पर झुलत ।

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