भारत में सूतीवस्त्र उद्योग के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर-सूती वस्त्र उद्योग एक कृषि उत्पाद आधारित उद्योग है, जो कपास पर निर्भर है, जिसमें उद्योगों की स्थापना के सामान्य कारक के अतिरिक्त जलवायु जैसी कारक भी स्थानापन्न प्रमुख कारक हैं। क्योंकि आर्द्र जलवायु सूत की लंबाई एवं सुन्दरता के नियामक हैं।
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का एक लंबा इतिहास रहा है। अविभाजित भारत में ढाका का मलमल विश्व में विख्यात था। 1818 ई० में कोलकाता के निकट फोर्ट गलास्टर में प्रथम सूती वस्त्र उद्योग लगाये गए थे। पर, यह सफल नहीं हो सकी। पुनः 1854 ई० में मुम्बई में काबसजी-नानाभाई द्वारा एक सफल उद्योग की स्थापना हुई जिसने भारतीय सूती वस्त्र उद्योग को आधार प्रदान किया। आज भारत का सबसे विशाल उद्योग के रूप में सूती वस्त्र उद्योग जाना जाता है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला उद्योग है। वर्तमान में देश के औद्योगिक उत्पादन में इस उद्योग का 14% योगदान है। जबकि देश के कुल GDP का 4% सहयोग सूती वस्त्र उद्योग से प्राप्त होता है। विदेशी आय के कुल आय का 17 प्रतिशत इसी उद्योग के कारण है। आज भारत में सूती वस्त्र की लगभग 1600 मिलें हैं। 80 प्रतिशत मिलें निजी क्षेत्र में स्थापित हैं।
प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, प० बंगाल, उ० प्रदेश, तमिलनाडु प्रमुख हैं। इस उद्योग का राष्ट्रव्यापी विकेन्द्रीकरण हुआ है। यहाँ से सं० रा०, अमेरिका, इंगलैण्ड, रूस, फ्रांस, यूरोप के पूर्वी देश सहित नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका एवं अफ्रीकी देशों को सूती वस्त्र निर्यात किया जाता है।