रासायनिक परिवर्तन किसे कहते हैं?
पदार्थों में होनेवाले कुछ परिवर्तन ऐसे हैं जिनके फलस्वरूप पदार्थ के गुणों में स्थायी परिवर्तन हो जाता है। इनके रंग, रूप, संरचना पूर्णतः बदल जाते हैं और परिवर्तन के फलस्वरूप कोई नया पदार्थ अवश्य बनता है। ऐसे परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन कहलाते हैं।
अतः, रासायनिक परिवर्तन वह परिवर्तन है जिसके फलस्वरूप पदार्थ नए पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है जिसके गुण (संरचना, द्रव्यमान आदि) मूल पदार्थ से पूर्णतः भिन्न होते हैं और परिवर्तन लानेवाले कारण को हटा लेने पर भी पदार्थ अपनी मूल अवस्था में नहीं आता।
उदाहरण
(i) लोहे में जंग लगना
लोहे के एक टुकड़े को आर्द्र वायु में छोड़ देने पर कुछ दिनों के पश्चात उसमें जंग लग जाता है। जंग के गुण लोहे के गुण से सर्वथा भिन्न होते हैं। जंग की संरचना लोहे की संरचना से बिलकुल भिन्न होती है। जंग को किसी भौतिक विधि से पुनः लोहे में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। अतः, लोहे में जंग लगना एक रासायनिक परिवर्तन है।
(ii) कोयले का जलना
कोयला एक काला ठोस पदार्थ है। यह ऑक्सीजन में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड नामक रंगहीन गैस बनाता है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस अज्वलनशील है तथा किसी जलती हुई वस्तु को बुझा देती है। इस गैस के गुण कोयले के गुण से भिन्न होते हैं। अतः, कोयले का जलना एक रासायनिक परिवर्तन है।
(iii) लोहे और गंधक के मिश्रण को गर्म करना
लौह-चूर्ण 7 g और गंधक 4 g को एकसाथ मिलाकर गर्म करने पर भूरे रंग का आयरन सल्फाइड बनता है जिसके गुण लोहे और गंधक दोनों से सर्वथा भिन्न होते हैं। इस आयरन सल्फाइड के निकट एक चुंबक लाने पर आयरन सल्फाइड में उपस्थित लोहा चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होता है। इसी प्रकार, आयरन सल्फाइड में उपस्थित गंधक कार्बन डाइसल्फाइड में नहीं घुलती है। इससे स्पष्ट होता है कि आयरन सल्फाइड बन जाने के पश्चात लोहा और गंधक दोनों के अपने-अपने गुण गायब हो जाते हैं। अतः, लोहे और गंधक को एक-साथ गर्म करने के फलस्वरूप होनेवाला परिवर्तन एक रासायनिक परिवर्तन है।
(iv) शरीर में भोजन का पचनापचना
हमारे शरीर में भोजन का पचना एक रासायनिक परिवर्तन है। खाद्य पदार्थ शरीर में जाकर ग्लूकोस जैसे सरल पदार्थों में परिवर्तित हो जाते हैं। पुनः, ग्लूकोस ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है तथा इस क्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। साँस छोड़ने के क्रम में कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है तथा ऊर्जा शरीर द्वारा उपयोग में लाई जाती है। मूल खाद्य पदार्थ का पुनः निर्माण नहीं हो पाता।
उपर्युक्त उदाहरणों के अतिरिक्त दूध का पनीर या दही में परिवर्तन, फलों का पकना, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की वृद्धि, पत्तों का सूखना, मोमबत्ती का जलना आदि रासायनिक परिवर्तन के उदाहरण हैं।